Kerala HighCourt On Nudity: केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को पॉक्सो कानून से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार की गई महिला अधिकार कार्यकर्ता रेहाना फातिमा (Rehana Fathima) को बड़ी राहत देते हुए आरोपमुक्त कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हर बार न्यूडिटी को अश्लीलता से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, ये दोनों अलग-अलग हैं.

बता दें कि रेहाना फातिमा (Rehana Fathima) का वीडियो सामने आया था. जिसमें वह अपने नाबालिग बच्चों के समक्ष अर्धनग्न अवस्था में खड़ी थीं और उन्होंने अपने शरीर पर ‘‘चित्रकारी” की अनुमति दी थी. इस बात पर आपत्ति जताते हुए कुछ समूहों ने उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज करा दी थी. अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए रेहाना ने अदालत से कहा, उन्होंने यह वीडियो जानबूझकर समाज में फैली हुई पुरुष सत्ता और महिला शरीर को अश्लील बनाए जाने के खिलाफ बनाया था.

केरल हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा, उनके नजरिए के मुताबिक उनको यह वीडियो अश्लील नहीं लगा है लिहाजा वह महिला पर लगाए गए आरोपों से उनको बरी करते हुए पुलिस को उनको रिहा करने के आदेश दे रहे हैं.

चार्जशीट में पुलिस ने क्या कहा ?

पुलिस ने अपनी चार्जशीट में रेहाना के खिलाफ पॉक्सो, आईटी एक्ट की धारा 67B(d) और किशोर न्याय (देखभाल) की धारा 75 की धारा 13, 14 और 15 के तहत अपराधों के लिए आरोप पत्र दायर किया गया था.

मामले में बेंच ने राहत देते हुए ये कहा

फातिमा को जमानत देते हुए जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने मानव शरीर की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए कहा, हमारे समाज में पुरुष के नग्न शरीर और उसकी स्वतंत्रता पर शायद ही कभी सवाल उठाया जाता है, लेकिन महिलाओं के शरीर की स्वतंत्रता हमेशा से ही सवालों के घेरे में रही है और उनके साथ इस मामले में भेदभाव किया जाता रहा है. अगर वह ऐसा कुछ करती हैं तो उनको धमकाया जाता है, अलग-थलग कर दिया जाता है और उन पर मुकदमा कर दिया जाता है.

बेंच ने आगे कहा, एक मां को अपने ही बच्चे से अपने शरीर पर पेंटिंग करवाने को यौन अपराध नहीं करार दिया जा सकता है, और न ही यह कह जा सकता है कि उसने यह सब अपनी यौन संतुष्टि को पूरा करने के लिए किया है. उन्होंने कहा, इस वीडियो में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे अश्लील कहा जा सके, यह महज एक कलात्मक अभिव्यक्ति है, जिसमें महिला अपने शरीर को अश्लील नहीं बनाए जाने की बात कह रही है.

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