हिंदू धर्म का सबसे पवित्र महीना सावन चल रहा है। इस महीने सनातन धर्म के लोग भगवान शिव की पूजा करते हुए शिवलिंग पर भांग धतूरा और बेलपत्र के साथ जलाभिषेक करते हैं। काशी सावन महीने में बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग की पूजा करने और बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्या दान के बराबर फल मिलता है। साथ ही सावन के महीने में बेल वृक्ष के नीचे भगवान शिव की पूजा करते हुए शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना बहुत फलदायी होता है। आइए जानते हैं सावन में शिव जी को कैसे चढ़ाएं बेलपत्र और क्या है इसका महत्व?

बेलपत्र चढ़ाने से मिलता हैं महापुण्य

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बेल का वृक्ष हमारे संपूर्ण सिद्धियों का सबसे पवित्र स्थल है। इस वृक्ष के नीचे भगवान शिव की आराधना करना कई गुना फलित होता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन माह में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के पहले उन पर बेल पत्र चढ़ाते हैं, उन्हें महापुण्य की प्राप्ति होती हैं और उन्हें कभी रुपये पैसे की कमी नहीं होती है। Read More – Harbhajan Singh 43th Birthday : युवराज सिंह ने हरभजन सिंह को खास अंदाज में दी जन्मदिन की बधाई, बताया अपना Partner In Crime …

बेलपत्र चढ़ाते समय इन बातों का रखें ख्याल

सावन के सोमवार को बेलपत्र चढ़ाना बेहद शुभ होता है। लेकिन सोमवार के दिन बेलपत्र चढ़ाने से एक दिन पहले ही इसे तोड़ कर रख लेना चाहिए। बेलपत्र तोड़ते समय इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए की बेलपत्र तीन पत्तों वाला हो और कहीं कटा फटा न हो। यदि पांच पत्तों वाला बेलपत्र मिल जाता है तो वो बहुत ज्यादा फलदायी होता है।यदि आप बेलपत्र खरीद कर लाते हैं तो इसे कभी खरीद सकते हैं। Read More – इस दिन रिलीज होगा फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ का ट्रेलर, Alia Bhat ने शेयर किया डेट …

बेलपत्र में है मां पार्वती का सभी स्वरूप

स्कंद पुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। माता पार्वती के पसीने से इस पेड़ की उत्पति होने से इसमें मां पार्वती के सभी रूप बसते हैं। मां पार्वती इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरुप में  शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं, इसके फूलों में गौरी स्वरूप, फलों में कात्यायनी स्वरूप में निवास करती हैं।बइसके साथ ही इसमें मां लक्ष्मी भी सभी स्वरूप में निवास करती हैं। मां पार्वती के सभी स्वरूपों का निवास होने की वजह से बेलपत्र शिव जी को चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामना पूरी करते हैं। सावन माह में जो भक्त बेल वृक्ष का पेड़ लगाता है और उसके मूल जड़ की पूजा करने के साथ इसकी नियमित देखरेख करता है उसे एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है।

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक 
English में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें