नई दिल्ली. बंगाल में रथ यात्रा निकालने की तैयारी में जुटी भारतीय जनता पार्टी को हाई कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद फिर से हाई कोर्ट से ही झटका मिल गया है. इसके पहले जहां सिंगल बेंच जस्टिस ने भाजपा को लोकतंत्र बचाओं रथ यात्रा को अनुमति दी थी, जिसे चीफ जस्टिस की बेंच ने शुक्रवार को रद्द कर दिया.
गौरतलब है कि भाजपा के लोकतंत्र बचाओ रथयात्रा को कोलकाता हाईकोर्ट की जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती की सिंगल बेंच ने अनुमति प्रदान करते हुए पार्टी को आदेशित किया था कि रथ यात्रा के दौरान किसी प्रकार की कोई हिंसा न होने पाए. रथ यात्रा पूर्व में 7 दिसंबर से शुरू होनी थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसके लिए अनुमति नहीं दी. गुरुवार को सिंगल बेंच के फैसले के बाद 28 से 31 दिसंबर तक रथ यात्रा निकाले जाने का कार्यक्रम बनाया गया था.
सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी याचिका
सिंगल बेंच के इस फैसले के विरोध में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने कहा कि सिंगल बेंच ने बंद लिफाफे में दी गई इंटेलिजेंस की रिपोर्ट को तवज्जों नहीं दी, बल्कि लिफाफे को बिना खोले ही फैसला सुना दिया. 31 पुलिस जिले और पांच पुलिस कमिशनरेट से मिली इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के प्रस्तावित रथ यात्रा को अनुमति दिए जाने से सांप्रदायिक दंगा भड़कने के आसार हैं.
बंगाल की सभी 42 लोकसभा क्षेत्रों में निकाली जानी थी रथ यात्रा
राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोलकाता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देबाशिष कारगुप्ता और जस्टिस शंपा सरकार की बेंच ने पूर्व में दिए गए फैसले को खारिज करते हुए फिर से उसे सिंगल बेंच के पास भेज दिया है. अपनी याचिका में राज्य सरकार ने परिस्थितियों को देखते हुए मामले की सुनवाई की तत्काल सुनवाई की आवश्यकता बताई थी. इस ताजा आदेश के बाद एक बार फिर से बंगाल के 42 लोकसभा क्षेत्रों में निकाली जाने वाली रथ यात्रा को लेकर संशय पैदा हो गया है.