कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने देश के खिलाफ युद्ध छेडऩे के आरोप में मौत की सजा पाए दो पाकिस्तानी नागरिकों समेत लश्कर-ए-तैयबा के चार आतंकवादियों को सोमवार को बरी कर दिया. हालांकि, अदालत ने उन्हें अन्य अपराधों के लिए सजा सुनाई. चारों को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की “साजिश” का दोषी पाया गया था. उन्हें 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी.

न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति अनन्या बंदोपाध्याय की खंडपीठ ने चारों दोषियों को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत बरी कर दिया. पीठ ने निर्देश दिया कि दो पाकिस्तानी नागरिकों, मोहम्मद यूनुस और मोहम्मद अब्दुल्ला को उनके देश भेज दिया जाए. दोनों अपनी सजा काट चुके हैं.

अदालत ने निर्देश दिया कि दोनों भारतीय नागरिकों को आईपीसी की धारा 121ए के तहत देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश का दोषी पाया गया. उन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है. अदालत ने कहा कि मुजफ्फर अहमद राठेर को सुधार गृह से रिहा किया जाए, जबकि एसके नईम को एक अन्य मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में पेश किया जाए.

खंडपीठ ने मौत की सजा सुनाने वाले सत्र न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील पर अपने आदेश में कहा, “आईपीसी की धारा 121 के तहत बरी किए जाने के मद्देनजर अपीलकर्ताओं को मौत की सजा और रुपये का जुर्माना किया जाता है. .’

उल्लेखनीय है कि उत्तर 24 परगना जिले की एक अदालत ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादियों मोहम्मद यूनुस, मोहम्मद अब्दुल्ला और मुजफ्फर अहमद राठेर को जनवरी 2017 में और चौथे आतंकवादी अब्दुल नईम को दिसंबर 2018 में ‘देश के खिलाफ’ के लिए मौत की सजा सुनाई थी. युद्ध छेड़ने के लिए उन्हें मृत्युदंड दिया गया था.

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