नई दिल्ली। देश भले ही आर्थिक उन्नति के लिहाज से कुचालें भर रहा हो, लेकिन देश में बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्हें दूसरी सरजमीं ज्यादा पसंद आ रही है. यही वजह है कि बीते साल 2022 में सवा दो लाख से भी ज्यादा लोगों ने देश की नागरिकता छोड़ दी. देश की नागरिकता की पहचान पासपोर्ट को छोड़ने वालों की संख्या के लिहाज से पंजाब और गुजरात से दिल्ली वाले बहुत आगे हैं. इसे भी पढ़ें : भाजपा सरकार ने राजीव युवा मितान क्लबों को दी गई खर्च राशि पर लगाया प्रतिबंध, कांग्रेस सरकार में शुरू की गई थी योजना

भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने 10 अगस्त, 2023 को राज्यसभा में पिछले एक दशक में भारत में स्वेच्छा से अपने पासपोर्ट सरेंडर करने वाले लोगों की संख्या को लेकर सवाल उठाया था. इस पूछताछ के जवाब में भारतीय विदेश विभाग की ओर से प्रदान किए गए आंकड़ों से देश की अलग तस्वीर बनती है.

पिछले दस वर्षों के भीतर दिल्ली में भारत में पासपोर्ट सरेंडर की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई, इसी अवधि के दौरान 60,414 व्यक्तियों ने अपने पासपोर्ट छोड़ दिए. पंजाब 28,117 पासपोर्ट सरेंडर के साथ दूसरे स्थान पर है, और गुजरात 22,300 व्यक्तियों द्वारा अपने पासपोर्ट सरेंडर करने के साथ तीसरे स्थान पर है.

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इसके विपरीत, अंडमान और निकोबार जैसे क्षेत्रों में पासपोर्ट सरेंडर की संख्या सबसे कम थी, पिछले दशक में केवल 16 व्यक्तियों ने अपना पासपोर्ट छोड़ा था. इसके बाद लक्षद्वीप और दमन दीव थे, जहां 33 पासपोर्ट सरेंडर हुए और सिक्किम में 34 लोगों ने अपने पासपोर्ट सरेंडर किए.

पिछले ग्यारह वर्षों में भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की कुल संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है. 2011 में, विदेश मंत्रालय ने बताया कि 1,22,819 व्यक्तियों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी थी, यह संख्या 2022 तक बढ़कर 2,25,620 हो गई. चौंकाने वाली बात यह है कि डेटा बताता है कि 2011 से 17.50 लाख से अधिक लोगों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है.

इसलिए सरेंडर करना होता है पासपोर्ट

यदि किसी व्यक्ति के पास कभी भारतीय पासपोर्ट रहा है और उसने किसी अन्य देश का पासपोर्ट प्राप्त किया है, तो उसे दूसरे देश की राष्ट्रीयता प्राप्त करने के तुरंत बाद अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करना होगा. भारतीय नागरिकता त्यागने के बाद आत्मसमर्पण या त्याग प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करना आवश्यक है.