रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर राज्य के आदिवासी भाई बहनों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वनवासियों के जीवन में बदलाव लाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा लगातार कोशिशें की जा रही है. वनवासियों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो, इसके लिए तेंदूपत्ता का मूल्य 2500 से बढ़ाकर 4000 प्रति मानक बोरा किए जाने के साथ ही लघु वनोपजों की खरीदी को भी विस्तारित किया गया है. राज्य में 7 से बढ़ाकर अब 31 प्रकार लघु वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर किए जाने के साथ ही इनके मूल्यों में भी बढ़ोत्तरी की गई है, ताकि इसका लाभ सीधे संग्राहकों को मिले. उन्होंने कहा कि लघु वनोपज के संग्रहण एवं प्रसंस्करण का प्रबंध करके वनवासियों की आय में कई गुना बढ़ोत्तरी की जा सकती है. प्रदेश सरकार इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है.

मुख्यमंत्री निवास कार्यालय रायपुर में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस के गरिमामय कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री बघेल ने कांकेर जिले को कई सौगातें भी दी. उन्होंने आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए गढ़िया पहाड़ संग्रहालय की आधारशिला रखने के साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर में कोदो-कुटकी-रागी प्रसंस्करण केन्द्र, इच्छापुर में हर्रा प्रसंस्करण केन्द्र, नवागांव-भावगीर में लाख प्रसंस्करण केन्द्र, मर्दापोटी में मशरूम उत्पादन सह प्रशिक्षण केन्द्र का भूमिपूजन और वन क्लस्टर का शुभारंभ किया. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कांकेर जिले के 17 गांवों में स्थित 15 हजार 438 हेक्टेयर वनभूमि का सामुदायिक वन संसाधन अधिकार संबंधित गांवों के लोगों को सौंपे. मुख्यमंत्री ने इस मौके पर 4 हजार 834 सामुदायिक वन अधिकार पट्टा और 3 हजार 38 व्यक्तिगत वन अधिकार पट्टे के वितरण का भी शुभारंभ किया. 10वीं और 12वीं उत्तीर्ण 20 मेधावी विद्यार्थियों को 51-51 सौ रूपए की नगद राशि और प्रशस्ति पत्र देकर उनका हौसला बढ़ाया.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जिला प्रशासन कांकेर द्वारा जिले के मात्र 17 गांवों में कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार गांवों में विद्यमान पेड़ों से प्रतिवर्ष 2 लाख 20 हजार क्विंटल लघु वनोपज का संग्रहण और इससे लगभग 12 करोड़ रूपए की आय अनुमानित है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्ही 17 गांवों में उत्पादित होने वाले कुल 4 करोड़ रूपए के धान की तुलना में लघुवनोपज का मूल्य लगभग तीन गुना अधिक है. उन्होंने कहा कि लघुवनोपज के संग्रहण एवं प्रसंस्करण की बेहतर व्यवस्था करके वनवासी क्षेत्र के लोगों की आमदनी तीन से चार गुना बढ़ायी जा सकती है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनांचल एवं वनवासियों की बेहतरी छत्तीसगढ़ सरकार की प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि वन अधिकार मान्यता अधिनियम वर्ष 2006 में लागू हुआ। राज्य में इसका प्रभावी क्रियान्वयन न होने की वजह से निजी और सामुदायिक वन अधिकार पट्टे अपेक्षानुसार वितरित नहीं हो सके। इस कारण वनवासियों को अपने अधिकारों से वंचित रहना पड़ा है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने इसे एक अभियान के रूप में संचालित किया है और सभी पात्र लोगों को तेजी से वन भूमि का पट्टा दिए जाने की शुरूआत की है। छत्तीसगढ़ राज्य में अब तक साढे़ चार लाख लोगों को व्यक्तिगत तथा 43 हजार सामुदायिक पट्टे के रूप में कुल 4 लाख 18 हजार हेक्टेयर वन भूमि के उपभोग का अधिकार दिया गया है। छत्तीसगढ़ देश में वन अधिकार पट्टा वितरण में देश में अव्वल है।

मुख्यमंत्री ने कहा ने कहा कि लघु वनोपजों के माध्यम से वनवासियों की माली हालत को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सरकार ने वन क्षेत्रों में इमारती लकडियों के पौध रोपण के बजाए फलदार एवं औषधीय पौधों के रोपण का निर्णय लिया है ताकि इसके जरिए अधिक मात्रा में लघुवनोपज और औषधियों का उत्पादन एवं संग्रहण हो सके। उन्होंने लघुवनोपजों के वेल्युएडिशन के लिए वनांचल क्षेत्रों में वनोपज प्रसंस्करण यूनिट स्थापित किए जाने की भी बात कही।

मुख्यमंत्री बघेल ने चारामा विकासखण्ड के ग्राम खैरखेड़ा के ग्रामीणों द्वारा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार भूमि में संचालित आर्थिक गतिविधियां और वनों के संरक्षण का कार्य की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा संचालित बीमा योजना को बंद किए जाने के कारण उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अब शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत संग्राहकों को कोई प्रीमियम राशि नहीं देनी होगी। दावे का भुगतान भी एक माह के भीतर किए जाने का प्रावधान है।