RSS Chief Mohan Bhagwat Speech : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आज गुरुग्राम में आयोजित विकसित भारत की दिशा सम्मेलन में विकास और पर्यावरण की रक्षा को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि विकास करें या पर्यावरण की रक्षा करें। दोनों में से एक चुनना है, लेकिन दोनों को साथ लेकर चलना पड़ेगा। जब तकनीकी प्रगति के मापदंडों की बात आती है तो मात्र चार प्रतिशत आबादी को 80% संसाधन मिलते हैं और ऐसे विकास के लिए लोगों को पूरी मेहनत से काम करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि नतीजे न मिलने पर निराशा होती है और ऐसी स्थिति में कभी-कभी कठोर कदम उठाने पड़ते हैं और अपने लोगों पर डंडा चलाना पड़ता है, जो आज की स्थिति में साफतौर से देखा जा रहा है।

व्यक्तिगत विकास में मन-बुद्धि का भी होना चाहिए विकास
भागवत ने कहा कि दुनिया मानती है कि 16वीं सदी तक भारत हर क्षेत्र में अग्रणी था। हमने कई महत्वपूर्ण खोजें की थीं, लेकिन उसके बाद हम रुक गए और हमारे पतन की शुरुआत हुई। यह भी कहा कि भारत ने हमेशा यह मिसाल पेश किया है कि सभी को साथ लेकर चलना चाहिए। व्यक्तिगत विकास में मन और बुद्धि का भी विकास होना चाहिए। विकास सिर्फ आर्थिक लाभ कमाना नहीं, बल्कि मानसिक और भौतिक समृद्धि दोनों का मिलाजुला रूप होना चाहिए।

अध्यात्म और विज्ञान के बीच टकराव नहीं
भागवत ने कहा, अध्यात्म और विज्ञान के बीच टकराव नहीं है। इनका मकसद मानवता की भलाई है। किसी को मोक्ष हासिल करना है तो उसे अपने सांसारिक कर्मों को छोड़ना पड़ता है।
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