हिंदू धर्म में भानु सप्तमी का विशेष महत्व होता है. भानु सप्तमी भगवान सूर्य के निमित्त मानने का विधान हैं. भानु सप्तमी का व्रत, सूर्य देव के निमित्त पूजा अर्चना करने और ताम्र पात्र में चंदन डालकर जल देने का से त्वचा रोग, पेट रोग, आंखों के रोग नहीं होते हैं. पंचांग के अनुसार भानु सप्तमी आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है. जून-जुलाई में सूर्य देव उत्तरायण में होने के कारण इस दौरान बहुत ज्यादा गर्मी और गर्म हवाएं चलती हैं, जिस कारण व्यक्ति को सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. साल 2023 में भानु सप्तमी 25 जून को रविवार के दिन मनाई जाएगी. भानु सप्तमी में विशेष योग होने के कारण इस साल लोगों को काफी फायदे मिलेंगे.
हिंदू धर्म में भगवान सूर्य की पूजा सभी दुःखों को दूर करके सुख-समृद्धि और सौभाग्य को बढ़ाने वाली मानी गई है. हर दिन प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देने वाले भगवान सूर्य की साधना-आराधना के लिए आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी पर पड़ने वाला भानु सप्तमी व्रत बहुत ज्यादा फलदायी माना गया है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से सूर्यदेव की पूजा करने पर व्यक्ति को सौभाग्य के साथ आरोग्य की प्राप्ति होती है और पूरे साल उस पर सूर्य देव की कृपा बनी रहती है.
तो आइए जानते हैं भानु सप्तमी व्रत की तिथि, इस दिन की जाने वाली सूर्य की पूजा विधि, उसका शुभ मुहूर्त, मंत्र और महाउपाय के बारे में…
भानु सप्तमी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार सूर्य पूजा के लिए अत्यंत ही शुभ मानी जाने वाली आषाढ़ मास की सप्तमी तिथि 24 जून 2023 को शाम में 06 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होकर 25 जून 2023 को रात्रि में 08 बजकर 32 मिनट को समाप्त होगी. इस दिन यायीजयी योग रहेगा.
भानु सप्तमी की पूजा विधि
भानु सप्तमी की पूजा करने के लिए व्रत वाले दिन प्रात: काल सूर्योदय से पहले उठें और सबसे पहले स्नान-ध्यान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और उसके बाद पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उगते हुए सूर्य देवता का दर्शन करें. उसके बाद तांबे के लोटे में स्वच्छ जल लेकर थोड़ा सा उसमें गंगाजल मिला लें. इसके बाद भगवान सूर्य का ध्यान करते हुए नीचे लिखे मंत्र को जपते हुए अर्घ्य दें और उसी स्थान पर तीन बार परिक्रमा करें.
‘ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजो राशे जगत्पते.
अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर।।’
भानु सप्तमी की पूजा का महाउपाय
सनातन परंपरा से जुड़ी मान्यता के अनुसार भानु सप्तमी के दिन ही भगवान सूर्य ने सात घोड़ों के रथ पर अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की थी. मान्यता है कि भगवान सूर्य ने पृथ्वी को तपती गर्मी से बचाने के लिए अपने सारथी अरुण सामने खड़े थे. सूर्य की पूजा के लिए अत्यंत ही शुभ माने जाने वाले इस व्रत वाले दिन यदि कोई व्यक्ति आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करता है और किसी जरूरत को गुड़ और गेहूं का दान करता है तो उस पर सूर्य की कृपा बरसती है.
सूर्य देव के बीज मंत्र का जाप करने से होगा लाभ
भानु सप्तमी आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन मनाई जाएगी इस दिन सूर्य देव के निमित्त कोई भी कार्य जैसे पूजा पाठ पूजा अर्चना भजन कीर्तन सूर्य देव को ताम्रपत्र में चंदन डालकर अर्घ देने से और उनके निमित्त व्रत आदि करने से व्यक्ति को कई फायदे होते हैं ऐसा करने से व्यक्ति को त्वचा रोग नहीं होते पेट रोग और अन्य शारीरिक समस्याएं दूर होने की धार्मिक मान्यता बताई गई है. साथ ही इस दिन सूर्य देव के बीज मंत्र का जाप करना भी विशेष लाभकारी बताया जाता है.
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