भानु सप्तमी को हिन्दू मान्यताओं और ग्रंथों में बड़ा ही शुभ दिन माना गया है. ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी नाम का विशेष पर्व होता है. इस दिन भगवान सूर्यनारायण के निमित्त व्रत करते हुए उनकी उपासना करने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है.

सूर्य को प्राचीन ग्रंथों में आरोग्यकारक माना गया है. इस दिन श्रद्धालुओं द्वारा भगवान सूर्य का व्रत रखा जाता है. सूर्य की रोशनी के बिना संसार में कुछ भी नहीं होगा. इस सप्तमी को जो भी सूर्य देव की उपासना और व्रत करते हैं उनके सभी रोग ठीक हो जाते हैं. वर्तमान समय में भी सूर्य चिकित्सा का उपयोग आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में किया जाता है.

रोग से मिलती है मुक्ति

सप्तमी को सुबह नियम के साथ स्नान करने से मनावांछित फल मिलता है. हो सके तो इस तिथि‍ को पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सूर्योदय की लालिमा के वक्त ही स्नान कर लेना चाहिए. इस मौके पर स्नान और अर्घ्यदान करने से आयु, आरोग्य और संपत्ति की प्राप्ति‍ होती है.

साथ ही शारीरिक कमजोरी, हड्डियों से जुड़ी समस्या या जोड़ों में दर्द जैसी परेशानियों में भगवान सूर्य की आराधना करने से रोग से मुक्ति मिलने की संभावना बनती है. पुत्र प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का महत्व माना गया है. इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास से रखने पर पिता-पुत्र में प्रेम बना रहता है.

ऐसे करें पूजा

  • भगवान सूर्य की विष्णवे नमः मंत्र से पूजा की जानी चाहिए.
  • ताम्र के पात्र में शुद्ध जल भरकर, उसमें लाल चंदन, अक्षत, लाल रंग के फूल आदि डालकर सूर्यनारायण को अध्र्य देना चाहिए.
  • एक समय बिना नमक का भोजन सूर्यास्त के समय करना चाहिए.

सूर्य उपासना के फायदे

  • भानु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की आराधना से दीर्घ आयु प्राप्त होती हैं और अकाल मृत्यु पर विजय मिलती है.
  • सभी दुखो का नाश होता है.
  • सूर्य देव की अर्चना करने से मनुष्य सदैव स्वस्थ रहता है.
  • रोज भगवान सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता है. मानसिक शांति मिलती है.
  • भानु सप्तमी के दिन सूर्य की पूजा करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है.
  • इस एक दिन की पूजा से ब्राह्मण सेवा का फल मिलता है.

दान का महत्व

इस दिन दान का भी महत्व होता है. ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है. अच्छे स्वास्थ के लिए, लम्बी आयु के लिए, अपना यश बढ़ाने के लिए अकाल मृत्यु पर विजय पाने के लिए इस दिन भगवान सूर्य देव का व्रत करना चाहिए.

ऐसे तैयार करें अर्घ्य

प्रातः काल स्नान करके एक लोटे में शुद्ध जल लें. उसमे थोडा गंगाजल, थोड़ा गाय का कच्चा दूध, कुछ साबुत चावल, फूल, थो़ड़ा शहद मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. साथ ही सूर्य के किसी भी मंत्र का जाप करें.

सूर्य उपासना मंत्र-

ऊँ घृणि सूर्याय नमः

ऊँ सूर्याय नमः

नमस्ते रुद्ररूपाय रसानां पतये नमः। वरुणाय नमस्तेस्तु।

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते ॥

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