देवजीत देवनाथ, पखांजूर। भानुप्रतापपुर से पखांजूर तक की सड़क, जिसे डेढ़ दशक पहले नक्सलियों के प्रभाव वाले इलाके में सुरक्षा के कारण बनाया गया था, अब खस्ता हालत में पहुंच चुकी है। 2012 में दुर्गकोंदल से ईरपानार तक 91.6 किलोमीटर लंबी सड़क 148 करोड़ की लागत से शुरू हुई थी। पहले 6 सालों में केवल 89 किलोमीटर सड़क ही बन सकी। इसके बाद ठेकेदार ने काम रोक दिया और भुगतान रोकने पर मामला न्यायालय तक पहुंच गया। नतीजतन, शेष 2 किलोमीटर सड़क अभी भी अधूरी पड़ी है।

बता दें कि साल 2018 में सड़क पूरी हुई, लेकिन दो साल के भीतर ही इसकी हालत बिगड़ने लगी। विभाग ने इसे बनाए रखने के लिए हर साल मरम्मत करना शुरू किया। लेकिन चार साल में भी इस सड़क पर लगभग 2.88 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद हालात सुधर नहीं सके।

इस सड़क की मरम्मत के लिए हर साल लाखों रुपये खर्च किये जा रहे है, इसके बावजुद सड़क पर हर जगह गड्ढे ही गड्ढे हैं।
सड़क के पेचवर्क पर सालाना खर्च
| साल | खर्च (रुपये में) |
|---|---|
| 2021 | 25 लाख |
| 2022 | 50 लाख |
| 2023 | 63 लाख |
| 2024 | 1.5 करोड़ |
| कुल | 2.88 करोड़ |
भानुप्रतापपुर से पखांजूर तक सड़क को बागलकोट के 300 गांवों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए लाइफलाइन माना जाता है, लेकिन अब लोग इसे उपयोग करना खतरनाक समझ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क की खराब स्थिति से आवाजाही मुश्किल हो गई है और दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
बरसात के बाद डामर की सतह का किया जाएगा निर्माण
पखांजूर SDO PWD के अनुसार, वर्तमान में इस सड़क कार्य का टेंडर जारी है। ठेकेदार का चयन होने के बाद शेष कार्य का वर्क ऑर्डर जारी किया जाएगा और उसके बाद सड़क निर्माण कार्य शुरू होगा। फिलहाल WMM (वेरी वेटेड मेस) पर मरम्मत की जा रही है और डामरीकरण के लिए भी पेचवर्क किया जा रहा है। साथ ही यह पेचवर्क प्रतिवर्ष किया जाने वाला नियमित कार्य है। बरसात के मौसम के बाद डामर की सतह का निर्माण भी किया जाएगा।

गौरतलब है कि सड़क निर्माण की स्थिति दर्शाती है कि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास में लगातार विलंब और वित्तीय अनुशासन की कमी से आम जनता को गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह सड़क अनुपयोगी हो सकती हैं और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है। स्थानीय प्रशासन को तत्काल मरम्मत, निगरानी और जिम्मेदार वित्तीय प्रबंधन सुनिश्चित करना जरूरी है, ताकि बागलकोट के 300 गांवों की जीवनरेखा सुरक्षित और सुचारू बनी रहे।
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