Bharat Bandh 2025: कई ट्रेड सगंठनों ने आज बुधवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। ऐसे में आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल होने जा रही है। ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद में 25 करोड़ मजदूरों और कर्मचारियों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है। ये कर्मचारी केंद्र सरकार पर मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉरपोरेट-समर्थक नीतियों का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस हड़ताल का आह्वान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साझा मंच ने किया है। इसमें किसान संगठनों और ग्रामीण मजदूर यूनियनों का भी समर्थन है। हालांकि भारतीय मजदूर संघ ने देशव्यापी हड़ताल में शामिल होने से इनकार कर दिया है। भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि यह हड़ताल राजनीति से प्रेरित है।

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भारत बंद का असर बिहार में दिखाई भी देने लगा है। एक तरफ जहां, ट्रेड सगंठनों ने भारत बंद का आव्हान किया है। वहीं दूसरी तरफ बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले लिस्ट रिवीजन के खिलाफ विपक्ष ने बिहार बंद का ऐलान किया है। इसके कारण सुबह 7 बजे से ही बिहार में बंद का असर दिखने लगा है। विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ता ट्रेनें तक रोक रहे हैं।

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हड़ताल के कारण बैंकिंग, डाक सेवाएं, परिवहन, औद्योगिक उत्पादन और बिजली आपूर्ति जैसी आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं में भारी व्यवधान की संभावना है। हालांकि कई व्यापारी संगठनों का कहना है कि लोगों के रोजमर्रा के कामकाज पर इस ‘भारत बंद’ का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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क्या-क्या प्रभावित हो सकता है?

-बैंकिंग और बीमा सेवाएं
-डाक विभाग
-कोयला खनन और औद्योगिक उत्पादन
-राज्य परिवहन सेवाएं
-सरकारी कार्यालय और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां
-ग्रामीण इलाकों में किसान रैलियां

क्या खुला रहेगा?

-स्कूल और कॉलेज
-निजी दफ्तर
-ट्रेन सेवाएं (हालांकि देरी हो सकती है)

हड़ताल के दौरान स्कूल-कॉलेज को अछूता रखने का आदेश हैं। हालांकि इसका असर का देशभर के स्कूल-कॉलेजों, बाजारों और प्राइवेट ऑफिसों में देखने को मिलेगा। पूरे देश में परिवहन सेवा से जुड़े लोगों से हड़ताल में शामिल होने के कारण बच्चों के स्कूल और कॉलेज आने-जाने में भी परेशानी हो सकती है। वहीं, बंदी के कारण बाजारों पर इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। हालांकि प्राइवेट दफ्तरों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।

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क्यों कर रहे भारत बंद?

हड़ताल का मुख्य कारण है सरकार द्वारा चार नए श्रम संहिताओं (Labour Codes) को लागू करना। साथ ही आरोप है कि सरकार निजीकरण, आउटसोर्सिंग, और ठेकेदारी प्रणाली को बढ़ावा दे रही है। सेवानिवृत्त कर्मियों को पुनर्नियुक्ति दे रही है जबकि देश की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम उम्र की है। ईएलआई (रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन) योजना जैसे कार्यक्रमों के जरिए नियोक्ताओं को फायदा पहुंचा रही है। इससे कर्मचारी नाराज हैं।

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क्या हैं प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें?

हड़ताल का नेतृत्व कर रहे 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार की नीतियां मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक हैं. उन्होंने सरकार के सामने 9 प्रमुख मांगें रखी हैं।

1. चार नई श्रम संहिताओं को वापस लिया जाए.

2. युवाओं के लिए रोजगार सृजन और सरकारी रिक्तियों को तुरंत भरा जाए.

3. 26,000 रुपये मासिक न्यूनतम वेतन की गारंटी दी जाए.

4. पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल किया जाए. 

5. 8 घंटे के कार्यदिवस की गारंटी दी जाए. 

6. मनरेगा (MGNREGA) को शहरी क्षेत्रों तक बढ़ाया जाए. 

7. अग्निपथ योजना को रद्द किया जाए. 

9. हड़ताल और यूनियन बनाने के अधिकार की रक्षा की जाए.

10. स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सार्वजनिक सेवाओं को मजबूत किया जाए.

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हड़ताल में शामिल प्रमुख संगठन

-ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)
-इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC)
-सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU)
-हिंद मजदूर सभा (HMS)
-सेल्फ-एम्प्लॉयड वूमेन्स एसोसिएशन (SEWA)
-लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF)
-यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC)

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समर्थक संगठन

-संयुक्त किसान मोर्चा
-ग्रामीण मजदूर यूनियनें
-रेलवे, एनएमडीसी और स्टील उद्योग के कर्मचारी

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