रायपुर। भारतमाला प्रोजेक्ट मुआवजा फर्जीवाड़ा की अंतिम जांच रिपोर्ट अब तक नहीं सौंपी गई है। बार-बार समय देने के बावजूद जांच अधिकारी रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं। यही नहीं संभाग आयुक्त ने लापरवाही करने वाले अधिकारियों को नोटिस देने की बात कही थी, लेकिन अफसरों को अब तक नोटिस भी नहीं दिया गया है।

भारतमाला मुआवजा घोटाले में आई दावा-आपत्तियों और शिकायतों की जांच के लिए बनाई गई समितियों की समय सीमा 14 अगस्त को ही खत्म हो चुकी है। संभाग आयुक्त की बार-बार चेतावनी का असर भी अफसरों पर नहीं हो रहा है। यही वजह है कि चार समितियों में एक समिति ने अब तक अपनी रिपोर्ट ही नहीं दी।

संभागायुक्त ने रायपुर जिले में हुए फर्जीवाड़े की जांच का जिम्मा उपायुक्त ज्योति सिंह, अपर कलेक्टर निधि साहू और संयुक्त कलेक्टर उमाशंकर बांदे को दी थी। धमतरी जिले के लिए अपर कलेक्टर इंदरा देवहारी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई थी। इन समितियों को पचेड़ा, भेलवाडीह, कुरूं, झांकी, बिरोड़ा, टेकारी, उगेतरा, नायकबांधा, पारागांव, मोतियाडीह, सरसदा, अभनपुर, सारंगी समेत प्रभावित गांवों के 164 से ज्यादा आपत्तियों की जांच करनी थी।

जानिए पूरा मामला

भारतमाला परियोजना के तहत विशाखापट्टनम रायपुर तक बन रही कॉरिडोर में एसडीएम निर्भय साहू एवं अन्य राजस्व विभाग के अधिकारियों ने भूमाफियों को कई गुना ज्यादा मुआवजा राशि दिलवाया है। इससे सरकार को 600 करोड़ की हानि हुई है। मामला संज्ञान में आने पर मार्च में तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू एवं दो तहसीलदार और तीन पटवारी को निलंबित कर दिया गया था। निलंबन के समय निर्भय कुमार साहू जगदलपुर नगर निगम आयुक्त थे। सरकार ने घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दिया है। ईओडब्ल्यू आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच कर रही है। कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था पर अब तक सभी आरोपी फरार चल रहे हैं।