Bhauma Pradosh Vrat 2025: भौम प्रदोष व्रत 11 मार्च 2025 को रखा जाएगा. इस दिन त्रयोदशी तिथि सुबह 8:12 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 9:12 बजे तक रहेगी. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण उपवास है, जिसे त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है. इसे “प्रदोष काल” में किया जाता है, जो सूर्यास्त के बाद लगभग 1.5 घंटे तक रहता है. इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करने से समस्त कष्टों का निवारण होता है, विशेष रूप से स्वास्थ्य, करियर और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है.

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प्रदोष काल का समय (Bhauma Pradosh Vrat 2025)

11 मार्च को प्रदोष काल शाम 6:27 बजे से रात 8:53 बजे तक रहेगा. इस अवधि में भगवान शिव का अभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

अभिषेक विधि (Bhauma Pradosh Vrat 2025)

  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) व गंगाजल का उपयोग करें.
  • शिवलिंग पर बेलपत्र, सफेद चंदन और अक्षत अर्पित करें.
  • पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती करें.

ध्यान दें: प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर सिंदूर, हल्दी, केतकी के फूल या नारियल अर्पित न करें. साथ ही टूटे हुए चावल और तुलसी की पत्तियां भी भगवान शिव को नहीं चढ़ानी चाहिए.

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भौम प्रदोष व्रत के लाभ (Bhauma Pradosh Vrat 2025)

  • मंगल दोष शांति – यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ होता है जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति होती है.
  • रोग एवं बाधाओं से मुक्ति – व्रत रखने और शिव अभिषेक करने से शारीरिक व मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है.
  • ऋण मुक्ति – यदि किसी व्यक्ति पर कर्ज का बोझ है, तो यह व्रत करने से लाभ मिल सकता है.
  • वैवाहिक जीवन में सुख – व्रत करने से पति-पत्नी के संबंधों में मधुरता आती है और विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं.

प्रदोष व्रत के दिन क्या न करें? (Bhauma Pradosh Vrat 2025)

  • लहसुन-प्याज व तामसिक भोजन का सेवन न करें.
  • क्रोध, वाद-विवाद और नकारात्मक विचारों से बचें.

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