रायपुर। भिलाई में सीटू नेता योगेश सोनी पर हुए हमले को लेकर मार्क्सवादी कम्यूनिष्ट पार्टी ने एक बड़ा आरोप बीएसपी प्रबंधन और ठेका एजेंसी सुंधाशु ब्रदर्स पर लगाया है. माकपा के राज्य सचिव संजय नेताम का आरोप है सीटू नेता पर हमला हत्या के नियत से की गई थी. हमले के पीछे बीएसपी प्रबंधन और ठेकेदार का हाथ है.

माकपा नेता का कहना है कि योगेश पर यह हमला डराने-धमकाने के लिए नहीं था, बल्कि धारदार हथियारों से यह हमला उनकी हत्या करने के उद्देश्य से की गई थी, ताकि सीटू और अन्य यूनियनों के नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया जा सके. उन्होंने इसे साजिशन वारदात करार देते हुए कहा कि ठेका एजेंसी सुधांशु ब्रदर्स के संचालक सुधांशु खंडेलवाल और सुपरवाइजर गोविंद साहू शामिल है.  गोविंद साहू की आपराधिक पृष्ठभूमि इससे ही स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति की हत्या के प्रयास के मामले में वह पहले से ही सजायाफ्ता है. गोविंद ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए भाड़े पर गुंडों को लिया. इन भड़ैतों में के. बेंजामिन और आर. सैमुएल भी शामिल हैं, जो पूर्व में भी हत्या के आरोपी रह चुके हैं. इस छानबीन से स्पष्ट है कि बीएसपी में काम करने वाले ठेकेदार अपने कर्मचारियों के नाम पर ऐसे लोगों को एजेंसी में भर्ती कर रहे हैं, जो अपने अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद करने वाले मजदूरों और यूनियन नेताओं को अपनी गुंडई के बल पर सबक सिखा सके.

माकपा ने कहा है कि बीएसपी में मजदूरों या उनके यूनियन के नेताओं पर यह कोई पहला हमला नहीं है. पहले भी ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है. लेकिन इसके बाद भी बीएसपी प्रबंधन की ओर से आपराधिक मानसिकता वाले ऐसे ठेकेदारों को काम दिया जा रहा. जबकि उनके खिलाफ ढेरों शिकायतें होने के बावजूद उन्हें ब्लैक-लिस्टेड करना तो दूर, कोई कार्यवाही तक नहीं होती. इसमें बीएसपी प्रबंधन के स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं है. इस मिलीभगत का कारण भी बहुत ही स्पष्ट है कि मजदूरों को बड़े पैमाने पर लूटने और भ्रष्टाचार के खेल में वे भी शामिल है.

माकपा ने बीएसपी सहित सभी सार्वजनिक उद्योगों में ठेकेदारी प्रथा पर प्रतिबंध लगाने और सभी असंगठित मजदूरों को नियमित कर्मचारी का दर्जा देने और समान काम के लिए समान वेतन और सुविधाएं देने की मांग की है.