पटना।भोजपुरी संगीत की मशहूर लोकगायिका देवी ने ऐसा साहसिक कदम उठाया है जो न सिर्फ उनके निजी जीवन में ऐतिहासिक है बल्कि समाज के सोच और नजरिए को भी बदलने का दम रखता है। देवी अब सिंगल मदर बन गई हैं। उन्होंने बिना शादी किए IVF तकनीक की मदद से एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया है।
ऋषिकेश AIIMS में हुआ सुरक्षित प्रसव
देवी ने 9 सितंबर 2025 को ऋषिकेश के AIIMS अस्पताल में बेटे को जन्म दिया। पूरा डिलीवरी प्रोसेस सफल रहा और मां-बेटा दोनों स्वस्थ हैं। देवी ने यह खुशखबरी खुद सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए इसे अपनी नई जिंदगी की शुरुआत बताया।
सात साल बाद पूरा हुआ मातृत्व का सपना
देवी ने बताया कि उन्होंने 7 साल पहले भी मां बनने की कोशिश की थी लेकिन तब प्रयास असफल रहा। इस बार उन्होंने पूरी तैयारी और आत्मविश्वास के साथ IVF प्रक्रिया के जरिए मां बनने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने जर्मनी के स्पर्म बैंक की मदद ली और उनका सपना साकार हो गया।
पारिवारिक और सामाजिक समर्थन भी मिला
इस फैसले में देवी को अपने परिवार और करीबी रिश्तेदारों का पूरा समर्थन मिला। देवी का मानना है कि एक महिला जब मानसिक आर्थिक और सामाजिक रूप से तैयार हो तो शादी का इंतजार किए बिना मातृत्व का निर्णय लेना उसका अधिकार है।
संगीत से लेकर समाज तक देवी की खास पहचान
भोजपुरी लोकगायिका देवी अपने गानों के लिए जितनी प्रसिद्ध हैं, उतनी ही चर्चित हैं भोजपुरी संगीत में अश्लीलता के विरोध को लेकर। उन्होंने हमेशा लोकसंस्कृति को सम्मान देने वाले गीत गाए और अश्लील ट्रेंड से खुद को अलग रखा। उनका यह फैसला भी उनके निर्भीक और आत्मनिर्भर व्यक्तित्व का उदाहरण है।
सोशल मीडिया पर समर्थन और सराहना
देवी ने जैसे ही अपने मातृत्व की खबर सोशल मीडिया पर साझा की उन्हें बधाइयों और शुभकामनाओं का तांता लग गया। फैंस और साथी कलाकारों ने इस कदम की सराहना करते हुए उन्हें नई पीढ़ी की प्रेरणा बताया।
मातृत्व के अधिकार को समाज में नई परिभाषा
देवी का मानना है कि मातृत्व केवल शादी से जुड़ा अधिकार नहीं है। यदि कोई महिला अकेले इस जिम्मेदारी को उठाने में सक्षम है तो उसे यह अधिकार होना चाहिए। देवी का यह निर्णय महिलाओं के आत्मनिर्भरता और स्वतंत्र सोच का सशक्त उदाहरण बन चुका है।
आईवीएफ तकनीक से मातृत्व अब आसान
देवी ने जिस IVF तकनीक के जरिए मां बनने का फैसला लिया वह आज बिना शादी के भी मातृत्व पाने की एक सशक्त और वैज्ञानिक विधि है। इसमें लैब में अंडाणु और शुक्राणु मिलाकर भ्रूण बनाया जाता है जिसे महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह तकनीक उन महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण है, जो पारंपरिक दायरों से बाहर निकलकर मातृत्व का अनुभव करना चाहती हैं।
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