शिखिल ब्यौहार, भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के उस निर्देश पर रोक लगा दी हो, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ियों के रूट स्थित भोजनालयों पर मालिकों के नाम प्रदर्शित किए जाने चाहिए। लेकिन, मामले को लेकर अब विश्व हिंदू परिषद खुलकर सामने आया है। परिषद ने यह निर्णय लिया है कि न सिर्फ कावड़ियों को भोजन, होटल और मालिको के षड्यंत्र को लेकर जागरूक किया जाएगा बल्कि उनके मालिकों के नाम भी सार्वजनिक करने का काम भी अब वीएचपी करेगा। इस पर सियासत भी शुरू हो गई है।

कोर्ट के निर्णय के बाद पहचान उजागर करेगा VHP

वीएचपी का मानना है कि हर हिंदू और सनातनी को उसके अनुसार सात्विक आहार का अधिकार है। यह सामान्य नियम भी है और सैद्धांतिक बात भी है। लंबे समय से देखने में आ रहा है कि कांवड़ियों को शुद्ध सात्विक आहार के नाम पर भ्रम और अधर्म परोसा जा रहा है। इसके लिए हिंदुओं को भी जागरूक होना होगा। ऐसे हजारों मामले हैं जहां कावड़ यात्रा के रूट पर विधर्मी अपनी पहचान छुपा कर कर भोजन प्रसादी के जरिए अधर्म कर रहे हैं। कोर्ट के निर्णय के बाद अब पहचान उजागर करने का काम विश्व हिंदू परिषद करेगा।

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हिंदू समाज को जागृत करने का काम कर रहा विश्व हिंदू परिषद- जितेंद्र सिंह

वीएचपी के प्रचार प्रसार प्रमुख जितेंद्र सिंह चौहान ने यह भी कहा कि हिंदुओं की धार्मिक आस्थाओं को लेकर प्रशासन को भी सक्त होना चाहिए। ऐसे कई वीडियो भी पहले आ चुके हैं जो हिंदुओं की आस्थाओं पर कुठाराघात का प्रमाण हैं। शासन प्रशासन को भी ध्यान देना चाहिए, कावड़ियों के पड़ाव में जो रेस्टोरेंट, दुकान, होटल हैं तो संदेह के आधार पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। विश्व हिंदू परिषद लगातार हिंदू समाज को जागृत करने के लिए काम कर रहा है। जहां-जहां यात्राएं निकाल रहे हैं वहां न सिर्फ स्वागत सम्मान किया जा रहा है, बल्कि संदेह पर तत्काल कदम भी उठाए जाएंगे।

कांग्रेस ने साधा निशाना

वीएचपी के निर्णय पर कांग्रेस ने निशाना साधा है। प्रदेश प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में अपना फैसला दे दिया है। फिर वीएचपी आखिर कौन है जो कानून व्यवस्था के सामने चुनौती पेश कर रहा है। क्या विश्व हिंदू परिषद सर्वोच्च न्यायालय से बड़ा हो गया है। न्यायालय के फैसले के विपरीत काम करने वाले इस संगठन के खिलाफ सख्ती से निपटने की जरूरत है। यदि सरकार सख्ती न कर पाए तो न्यायालय और लोकतंत्र के सम्मान में सत्ता का अधिकार भी छोड़ देना चाहिए।

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बीजेपी ने लगाए आरोप

इस तीखी प्रतिक्रिया पर बीजेपी ने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए। बीजेपी प्रवक्ता गोपाल लोया ने कहा कि यह मध्यप्रदेश सरकार ने इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया है। लेकिन, किसी भी व्यक्ति को अपनी पहचान छुपा कर व्यापार करने की आवश्यकता क्यों है इस बात को समझना चाहिए। खासतौर से खाद्य पदार्थों से संबंधित व्यापार व्यवसाय में ऐसा करना किसी षड्यंत्र या गलत इरादों का साफ-साफ संकेत है। विश्व हिंदू परिषद हो या कोई अन्य संगठन इन्हें जागरूकता के साथ अपनी आवाज बुलंद करने का अधिकार भी संविधान ने ही दिया है। इस पर आपत्ति भी नहीं होना चाहिए।

बीजेपी ने यह भी कहा कि मामले से संबंधित नेम प्लेट या नाम लिखने का बिल कांग्रेस शासनकाल के दौरान साल 2006 में आया था। यूपीए की मनमोहन सरकार जो सोनिया गांधी के रिमोट कंट्रोल पर थी। कांग्रेस सरकार ने बिल के नियम 2011 में बने थे। कांग्रेस पार्टी नियम बनाती है उसी का विरोध करती है। सरकार में रहते समय कुछ और विपक्ष में रहते समय कुछ और यहीं कांग्रेस की नीति है। कांग्रेस को आत्म चिंतन की जरूरत है।

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