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अजय शर्मा,भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 48 साल ब्रिज की उम्र हो चुकी है. उम्र के हिसाब से इस ब्रिज पर हजारों लोगों का ना सिर्फ परिवहन है, बल्कि ओवरलोड हो चुका ये ब्रिज अब मोटापे से भी परेशान हैं. जी हां ब्रिज का मोटापा कम (मरम्मत) करने की कवायद भोपाल के भारत टाकीज ब्रिज की शुरू हुई है. हर घण्टे 7 हजार से ज्यादा वाहनों का बोझ उठाने वाले इस ब्रिज पर इतनी मोटी (सड़क की) परत चढ़ गई है की इसे हटाने के लिये मरम्मत का काम शुरू हुआ है. जिसके लिये 90 लाख रुपये पीडब्ल्यूडी खर्च करेगा.
3 इंच से 10 इंच हुई परत
भोपाल के भारत टॉकीज ब्रिज पर सड़क की परत 3 इंच से बढ़कर 10 इंच हो गई है. यही स्थिति कमोबेश ब्रिज के स्लैब (फुटपाथ) की भी है, जिस पर से लोड (परत) कम की जा रही है. ब्रिज की सड़क का लगातार मेन्टेन्स होते रहने से इस पर अच्छी खासी डामर की परत चढ़ी हुई है. जिसे हटाने के लिए इन दिनों काम चल रहा है. इस पूरी कवायद के बाद पीडब्ल्यूडी परत को हटाकर 3 इंच परत बिछाएगा. इसके बाद स्लैब को लिफ्ट कर डैमेज हुए बेयरिंग और पेडस्टल को बदला जाएगा.
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25 साल बढ़ेगी उम्र
1947 में इस ब्रिज को सीपीए ने गर्डर-स्लैब तकनीक पर बनाया था. भोपाल के पुराने शहर का ये ब्रिज बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन को जोड़ता है. 48 सालों में ब्रिज पर 2400 किग्राम प्रति वर्गमी. डेड लोड बढ़ गया है, 700 मीटर लंबे ब्रिज पर ये मोटापा (वजन) ज्यादा है. ये कम होते ही इस ब्रिज की आयु 25 साल बढ़ जाएगी.
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सुपर लोडिंग क्षमता की पहचान
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भोपाल के पुराने शहर की जान माने जाने वाला ये ब्रिज अपनी सुपर लोडिंग की क्षमता के आधार पर बनाया गया था. 300 टन से ज्यादा वजनी आर्मी टैंक भी इस पर से गुजर सकता है.
बार बार मरम्मत से मोटा हुआ
इस पूरे काम की निगरानी कर रहे चीफ इंजीनियर संजय खांडे की माने तो ब्रिज की बार-बार होने वाली मरम्मत सड़क निर्माण और फुटपाथ पर लगने वाले टाइल्स ने उसका डेडलोड (मोटापा) बढ़ा दिया था. जिसे कम किया जा रहा है. इस काम को 4 महीने में पूरा किया जाएगा.
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