रेणु अग्रवाल, धार। अपना बेटा खो चुके मां-बाप और पति को खो चुकी पत्नी आज उस वक्त खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कोरोना से मौत मान कर परिवार अंतिम संस्कार भी कर चुका था। अचानक आज 2 साल बाद बेटा द्वार पर आकर खड़ा हो गया।

यह कोई फिल्म नहीं बल्कि हकीकत है। आज धार जिले के सरदारपुर के बड़वेली गांव में कमलेश नामक युवक अपने मामा के घर के बाहर का दरवाजा खटखटाया। मामा ने जैसे ही अपने भांजे को दरवाजे पर देखा तो उनको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन कुछ ही देर में उनको यह विश्वास हो गया कि यह उनका ही भांजा है। दरअसल 40 वर्षीय कमलेश पाटीदार गुजरात के बड़ौदा में एक नामी अस्पताल में कोरोना के चलते भर्ती हुआ था। वहां पर डॉक्टरों के द्वारा उसे मृत घोषित कर परिवार को अंतिम संस्कार के लिए दिया गया था। परिवार ने भी शव को अपने बेटे का समझकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। चूंकि कोरोना काल में संक्रमण के चलते एक पिता अपने पुत्र का चेहरा नहीं देख पाए और अंतिम संस्कार कर दिया था। एक ऐसा अजूबा हुआ कि एक पिता के लिए मरा हुआ पुत्र जिंदा घर लौट आया। अपने बेटे को जिंदा देखकर बूढ़े पिता की आंखें पथरा गई। वहीं 2 साल से विधवा का जीवन जी रही उसकी पत्नी, पति को जीवित देखकर उसके चेहरे की खुशी लौट आई। यहां पर कमलेश ने अपनी पत्नी की मांग फिर से सिंदूर से भरकर उसे सुहागन बना दिया।

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कड़ोदकला का रहने वाला कमलेश पिता गेंदालाल पाटीदार कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हो गया था। उसका उपचार इंदौर में करवाया गया। जब बेटा ठीक हुआ तो उसके शरीर में खून के थक्के जमने लगे। परिवार के लोग उसको बड़ौदा के निजी अस्पताल में ले गए जहां पर उसे भर्ती कराया गया। वहां उसका उपचार चला और वहां पर डॉक्टरों के द्वारा उस युवक को मृत घोषित कर दिया, क्योंकि कोरोना पॉजिटिव बॉडी होने से बॉडी से सभी को दूर रहने के लिए कहा गया था। बॉडी को पूरी तरह पैककर परिजनों के सुपुर्द किया गया था। परिजनों ने भी डॉक्टर की बात को माना और अंतिम संस्कार कर दिया। कमलेश इतने दिनों तक कहां रहा इस बारे में अभी कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है। सरदारपुर एसडीओपी राम सिंह मेड़ा ने बताया कि कमलेश अपने मामा के यहां आज बड़वेली में सुबह-सुबह आया था। गांव के व्यक्ति के द्वारा मुझे खबर की गई कि यह 2 साल पहले गुजरात में कोरोना में शांत हो गया था। मामा के घर आया युवक की पहचान कर उसे परिवार के हवाले किया गया।

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