शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल वासियों के जहन में साल 1984 की वो खौफनाक यादें आज भी ताजा है। भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) की घटना को आज तक कोई भुला नहीं सका है जिसमें करीब 2860 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी। वहीं इस त्रासदी के कुछ अवशेष आज भी भोपाल में मौजूद हैं जिसे हटाने की कवायद अब तेज हो गई है। जहरीला कचरा जलाने के लिए केंद्र की ओर से 126 करोड़ की राशि भी जारी कर दी गई है। 

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भोपाल से गैस त्रासदी का जहरीला कचरा 40 साल बाद हटाया जाएगा। इसे लेकर भोपाल सांसद और गैस पीड़ित आलोक शर्मा ने कहा है कि केंद्र सरकार से वैज्ञानिक पद्धति से कचरा निष्पादन के लिए 126 करोड़ मिले हैं। बजट सत्र के दौरान आलोक शर्मा ने निष्पादन के लिए मांग उठाई थी जिसे केंद्र सरकार ने मंजूर करते हुए राज्य सरकार को राशि दी है। एक माह के अंदर जहरीले कचरे का निष्पादन होगा।  

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पीतमपुर में वैज्ञानिक पद्धति से जहरीले कचरे का निष्पादन किया जाएगा। आलोक शर्मा ने केंद्र सरकार को एक पत्र भी लिखा है। इसमें उन्होंने मांग की है कि भोपाल गैस पीड़ितों के अस्पताल भोपाल मेमोरियल को एम्स में मर्ज किया जाए। कैंसर के लिए विशेष यूनिट की स्थापना की जाए। बता दें कि भोपाल गैस त्रासदी के हर 10 में से तीन मैरिज कैंसर से पीड़ित हैं। नवजातों में भी आनुवांशिक तौर पर कैंसर की समस्या है। 

भोपाल गैस कांड की जड़ यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़ा कचरा बेहद घातक और जहरीला है। 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को एक माह के अंदर पीथमपुर रवाना किया जाएगा।

भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग, केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड और प्रीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड सहित अन्य विभागों ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कचरे को यू का फैक्ट्री से इंसीनेटर तक पहुंचाने और निपटने के लिए 126 करोड रुपए जारी किया है।

भारी वैज्ञानिक सुरक्षा और विशेष सुरक्षा बल के बीच कचरा रवाना होगा। रासायनिक कचरे को समाप्त करने के लिए जुलाई 2003 में निरीक्षण समिति ने निर्णय लिया था। कचरा निष्पादन से संबंधित प्रक्रियाओं को लेकर 9 साल पहले ट्रायल हो चुका है। साल 2004 से कारखाने के जहरीले कचरे के निपटान को लेकर मामला उलझा था।

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