शिखिल ब्यौहार, भोपाल: राजधानी भोपाल को आगामी एक साल तक नए मास्टर प्लान की सौगात नहीं मिलने वाली। मास्टर प्लान को लागू करने की कवायद को चंद घंटों में ही बदल दिया गया। लोकसभा चुनाव को लेकर दोपहर तक मास्टर प्लान लागू करने का मन सरकार ने बनाया जो शाम होते-होते पटल गया। मास्टर प्लान को लागू करने के बजाए नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने नए सिरे से मास्टर प्लान तैयार करने का निर्देश दिया। साथ ही संपूर्ण कार्रवाई के लिए एक साल का समय भी मुकर्रर किया।
बैठक में मौजूद विधायक रामेश्वर शर्मा ने भोपाल की लाइफ लाइन कहे जाने वाले कैचमेंट में प्रतिबंध संबंधित प्रावधानों को दोबारा विचार करने की बात मंत्री विजयवर्गीय से कही। उधर, अफसरों ने नगरीय प्रशासन मंत्री को बताया कि बड़ा तालाब के कैचमेंट में तमाम प्रावधान न्यायालय के आदेश, पर्यावरण विभाग की गाइडलाइन और तालाब को लेकर तैयार कराई गई रिपोर्ट के आधार पर किए गए हैं। बैठक में जनप्रतिनिधियों ने अलग-अलग तर्क दिए। कुछ प्रावधानों पर सहमति तो कुछ पर आपत्ति रही। शाम होते होते निर्णय बदला गया और मास्टर प्लान को एक साल तक होल्ड करने का निर्णय लिया गया।
सरकार की हरी झंडी का था इंतजार
बीते साल सरकार ने विधानसभा चुनाव के पहले अंतिम सुनवाई कर संशोधित मास्टर प्लान का प्रारूप जारी किया था। इसके बाद से ही भोपाल मास्टर प्लान 2031 फाइलों में अटका पड़ा है। बता दें कि भोपाल का वर्तमान मास्टर प्लान साल 2005 तक के लिए था। जो साल 1996 में बनाया गया था। भोपाल का नया मास्टर प्लान साल 2031 तक के लिए बनाया गया है।
बेशकीमती जमीनों को लेकर साठगांठ हुई उजागर
चार साल पहले प्रस्तावित मास्टर प्लान 2031 को लेकर दावे-आपत्तियों में टीएंडसीपी के वरिष्ठ अफसरों की मिलीभगत उजागर हुई थी। दरअसल, बड़ा तालाब की बेशकीमती जमीनों को लेकर बड़े स्तर पर अफसरों ने मास्टर प्लान में गड़बड़ियों को अंजाम दिया था। प्लान में बड़ा तालाब को 3541.09 हेक्टेयर बताया गया था। शिकायतों के बाद तालाब की वास्तविक हद 3872.43 हेक्टेयर तालाब को मिली।
महत्वपूर्ण संशोधनों पर एक नजर-
अरेरा समेत दो स्थानों पर नहीं मिलेगा हाई एफएआर
शहर के पॉश एरिया में शामिल ई-1, ई-2, ई-3, ई-4, ई-5, चूना भट्टी, विजयनगर को विकसित करने के लिए मिक्सलैंड यूज के साथ हाई एफएआर संबंधित प्रावधान किया गया था। इन्हें हटा दिया गया है। अफसरों ने बताया कि यह क्षेत्र शहर के अलग-अलग सेंटर जोन में हैं। यहां अतिरिक्त निर्माण से शहरी व्यवस्था बदहाल होगी।
मिक्सलैंड यूज की सडकों की चौड़ाई में इजाफा
सरकार ने मिक्सलैंड यूज से जुड़े स्थानों पर सडक़ों की चौड़ाई में छह मीटर का इजाफा किया है। पहले मास्टर प्लान के प्रारूप में 12 मीटर चौड़ी सड़कों का प्रावधान किया गया था। अब इसे बढ़ाकर 18 मीटर किया गया है। अफसरों ने बताया कि इससे हाईराइज डेवलपमेंट के कारण जाम और पार्किंग जैसी समस्या नहीं होगी। बता दें कि शहर में मिक्सलैंड यूज एरिया में 345 किलोमीटर सडकों का दायरा है।
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बड़ा तालाब और जलभराव क्षेत्र में यह किए थे संशोधन
- बड़ा तालाब के जलभराव क्षेत्र से होते हुए बरखेड़ी कला से खजूरी कला तक 15.7 किलोमीटर लंबे और 45 मीटर रोड नेटवर्क की प्लानिंग को हटाया गया।
- तालाब संरक्षण के लिए जलभराव क्षेत्र के ग्रामीण आबादी विस्तार को 250 मीटर से कम कर 100 मीटर किया गया।
- बैरागढ़ से इंदौर रोड के उत्तर दिशा की ओर एफटीएल में 1659 हेक्टेयर भूमि पर रेसिडेंशियल मिक्सलैंड के प्रावधान को हटाया गया। इसे अब जलभराव क्षेत्र में दिखाया गया है।
- बड़ा तालाब लेक फ्रंट में शामिल हलालपुर क्षेत्र में आवासीय मिक्सलैंड के प्रावधान को हटाया गया। इससे 30.48 हेक्टेयर भूमि संरक्षित होगी।
बाघ भ्रमण क्षेत्रों में यह किए थे संशोधन
- प्लानिंग एरिया में शामिल केरवा डेम से लगे ग्रामीण इलाकों समेत वन क्षेत्रों को ग्रीन लैंड किया गया। प्रस्तावित मास्टर प्लान में कुल 51.66 हेक्टेयर क्षेत्र में निम्न आबादी घनत्व आवासीय लैैंडयूज तक किया गया था।
- बाघ भ्रमण क्षेत्र मेंडोरा, मेंडोरी, चंदनपुरा में पीएसपी मिक्सलैंड के तहत निर्माणों के प्रावधानों को हटाया। इससे 357.78 हेक्टेयर शासकीय भूमि संरक्षित होगी।
- कलियासोत डेम से केरवा की ओर 85.74 हेक्टेयर जमीन को ग्रीनलैंड किया गया। पहले यहां पीएसपी मिक्सलैंड का प्रावधान किया गया था।
- केरवा डेम का एफटीएल को कम दिखाया गया था। इसे 340.16 हेक्टेयर के स्थान पर 446.93 हेक्टेयर निर्धारित किया गया।
इन रोड नेटवर्क में भी किया था संशोधन
- प्रस्तावित सडक़ पर निर्माण होने के कारण अवधपुरी से हताईखेड़ा तक 60 मीटर चौड़ी सडक़ की प्लानिंग को प्लान से हटाया गया है।
- कोलार से बिलकिसगंज तक 60 मीटर चौड़ी सडक़ में संशोधन किया गया है।
- ग्रामीण इलाकों में भविष्य के मद्देनजर 18 मीटर चौड़ी सडक़ों का प्रावधान किया गया है।
यह संशोधन भी महत्वपूर्ण
- सतगढ़ी गांव में राजस्व भूमि को पीएसपी किया गया। यहां स्पोर्ट सिटी बनाई जाएगी।
- हजामपुरा में प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र के पास 189 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को औद्योगिक क्षेत्र के लिए संरक्षित किया गया।
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