शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। तीन दिसंबर को रिजल्ट घोषित किए जाएंगे। एमपी की 230 में से 76 सीटों पर प्रत्याशियों का भविष्य आदिवासी तय करेंगे। आदिवासी के लिए आरक्षित 47 सीटों के अलावा 29 सामान्य सीट जहां आदिवासी जीत और हार तय करेंगे।
एमपी में विधानसभा की 230 सीट में से 47 आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा भी कई सीटों पर आदिवासी वोटरों का खासा दखल है। प्रदेश में आदिवासियों की कुल जनसंख्या 2 करोड़ से भी अधिक है।
प्रदेश के निमाड़ मालवा में भील, भिलाला, और बारेला जनजातियों का बोलबाला है तो वहीं विंध्य महाकौशल और नर्मदापुरम में कोल, गोंड, कोरकू और परधान जनजातियों का बोलबाला है। कांग्रेस और बीजेपी ने सबसे ज्यादा 22-22 टिकट गोंड आदिवासियों को दिए है।
कांग्रेस में बड़े आदिवासी नेता
कांतिलाल भूरिया भील, उमंग सिंगर भील, बाला बच्चन भिलाला, हीरालाल अलावा भिलाला।
बीजेपी में आदिवासी के बड़े नेता
फगन सिंह कुलस्ते गोंड, विजय शाह गोंड, ओमप्रकाश धुर्वे, मीना सिंह, संपतिया उइके और बिसाहू लाल सिंह भी गोंड जनजाति से हैं।
2018 में आरक्षित सीटों का गणित
पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की आरक्षित 47 सीटों में भारतीय जनता पार्टी को 30, कांग्रेस को 16 तो वहीं एक पर अन्य को जीत मिली थी।
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