राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। भारतीय जनता पार्टी की तर्ज पर अब मध्य प्रदेश कांग्रेस भी कैडर बेस्ड पार्टी बनने जा रही है. विधानसभा और लोकसभा चुनाव की रिसर्च के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने यह फैसला लिया है. कांग्रेस में बीजेपी की तरह कैडर तो होगा, लेकिन कुछ हटकर. बेहतर कैडर स्थापित करने के लिए कांग्रेस पांच साल के हिसाब से रूपरेखा तैयार करने जा रही है.
मतदान तक का सफर कैसा और क्यों रहा
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार क्यों हुई और लोकसभा चुनाव में मतदान तक का सफर कैसा और क्यों रहा. प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस पर बारीकी से अध्ययन कर चुकी है. अध्ययन के बाद निचोड़ यह निकला है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस को बीजेपी की तर्ज पर कैडर बेस्ड पार्टी बनना होगा. पीसीसी ने यह फाॅर्मूला लागू करने के लिए मंथन भी शुरू कर दिया है. पीसीसी मंथन कर रही है कि बीजेपी से हटकर दूसरा किस तरह कैडर खड़ा किया जा सकता है.
कांग्रेस में कैडर संभव नहीं
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मुकेश नायक का कहना है कि बीजेपी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस का कैडर बेस्ड होना जरूरी है. जिन राज्यों में कैडर बेस्ड दल हैं, वहां बीजेपी घुसपैठ नहीं कर पा रही है. इसलिए मध्य प्रदेश कांग्रेस को भी कैडर बेस्ड दल बनाया जाएगा. वहीं कांग्रेस की इस तैयारी पर बीजेपी के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा है कि कांग्रेस को बीजेपी के जैसा बनाने के लिए पहले भी कई तरह के प्रयत्न किए गए हैं. यह सब तब संभव हो पाता है जब त्याग, बलिदान, तपत्या, समर्पण हो. कांग्रेस में ऐसा है नहीं, इसलिए कांग्रेस में कैडर संभव नहीं.
एक पद पांच साल
सूत्रों की मानें तो यह सुझाव निकलकर सामने आया है कि कांग्रेस में किसी भी पद पर एक व्यक्ति को पांच साल से अधिक समय तक नहीं रखा जाएगा. इस सुझाव को कैडर के फाॅर्मूले में लागू किया जा सकता है. वहीं 50 फीसदी पदों पर युवाओं को रखने का फाॅर्मूले पर भी विचार हो रहा है.
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