राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा के तीसरे चरण के प्रत्याशियों के लिए यह चुनाव राजनीतिक दिशा और दशा तय करने वाला साबित होगा। कई माननीय ऐसे हैं जिसके दोनों हाथों में लड्डू है, यानी जीत गए तो दिल्ली दरबार तक पहुंच जाएंगे और यदि हार गए तो भी विधायकी बरकरार रहेगी। इसी तरह कई माननीय ऐसे हैं जो यदि हार गए तो भविष्य में राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। वे राज्य की राजनीतिक परिदृश्य से भी गायब हो सकते हैं। आइए जाते हैं कि तीसरे चरण के प्रत्याशियों के लिए यह चुनाव कितना अहम है।
मुरैना
बीजेपी- शिवमंगल सिंह तोमर: नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थक होने से तोमर की प्रतिष्ठा लगी है दांव पर।
कांग्रेस-नीटू सत्यपाल सिंह सिकरवार: मजबूत पारिवारिक राजनैतिक पृष्ठभूमि और कद्दावर नेता के छवि की दाब पर लगी है प्रतिष्ठा।
ग्वालियर
बीजेपी-भारत सिंह कुशवाहः विधानसभा में हार के बाद राजनीतिक पृष्ठभूमि बचाने के लिए जीत जरूरी।
कांग्रेस-प्रवीण पाठकः हाल ही में विधानसभा चुनाव हारने के बाद राजनीतिक सक्रियता के लिए जीत जरूरी।
बैतूल
बीजेपी- दुर्गादास उइके : नर्मदांचल में बड़ा आदिवासी चेहरा होने से आदिवासियों के बीच बीजेपी के वोट बैंक का तय होगा मापदंड।
कांग्रेस- रामू टेकाम: पिछला चुनाव हारने के साथ कमलनाथ का समर्थक होने से कमलनाथ की प्रतिष्ठा का भी है सवाल।
राजगढ़
बीजेपी- रोडमल नागर: सांसद के रूप में क्षेत्र में पहले से होता आया है विरोध, हारे तो राजनीतिक संकट।
कांग्रेस- दिग्वजय सिंह: जीत हार से तय होगा अगला भविष्य। क्योंकि कहा जा रहा है दिग्विजय सिंह का यह आखिरी चुनाव है. अमित शाह कह चुके हैं आशिक का जनाजा है झूम के निकलना चाहिए।
भोपाल
बीजेपी- आलोक शर्मा: चुनाव हारे तो हो जाएगी सियासी विदाई. जीतने पर खुल सकते हैं केंद्र में द्वार।
कांग्रेस- अरुण श्रीवास्तव: जीते चाहे हारे, बने रहेंगे अगले चुनाव के दावेदार।
विदिशा
बीजेपी- शिवराज सिंह चौहान: जीतने भर की देरी, बनेंगे मोदी कैबिनेट का अहम चेहरा।
कांग्रेस- प्रतापभानु शर्मा: जीते तो बन जाएंगे राष्ट्रीय चेहरा।
गुना
बीजेपी- ज्योतिरादित्य सिंधिया: इस बार सिंधिया खानदान की प्रतिष्ठा लगी है दांव पर. पिछला चुनाव हारने के बाद इस बार जीत अहम जरूरी।
कांग्रेस-यादवेंद्र सिंह यादव: हार-जीत से तय होगा सिंधिया के बीजेपी जाने के बाद कांग्रेस की मजबूती का प्लान।
सागर
बीजेपी- लता वानखेड़े: जीतने पर बुंदेलखंड का बड़ा चेहरा बनेगी, हारने पर राजनीति समाप्त।
कांग्रेस- चंद्रभूषण सिंह बुंदेला उर्फ गुडडू राजाः ललितपुर से कई चुनाव लड़े, लेकिन एक भी चुनाव नहीं जीतने का लगा हुआ है तमगा।
भिंड
बीजेपी- संध्या रायः सांसद रहते हुए निष्क्रियता के तमगे का निर्धारण तय होगा।
कांग्रेस- फूल सिंह बरैयाः हारे तो भी विधायक बने रहेंगे।
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