भोपाल। मध्य प्रदेश में महिला आरक्षण पर श्रेय की सियासत शुरू हो गई है। पूर्व सीएम व वर्तमान राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि राजीव गांधी का सपना पूरा हुआ। इसके साथ ही उन्होंने राजीव गांधी का एक पुराना वीडियो भी शेयर किया है। वहीं बीजेपी ने कहा कि यूपीए सरकार ने बिल लटका कर रखा था। सरकार जाने की डर से बिल पेश नहीं होने दिया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा- महिला आरक्षण नींव के प्रणेता राजीव गांधी जी के सपनों और विचारों को नमन! मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए उनके बताए आदर्शों के पालन के लिए देश में सबसे पहले पंचायती राज क़ानून लाकर महिलाओं को अधिकार दिया। आज राजीव जी के सपनों को जीती और आगे बढ़ती महिलाएँ समाज और देश का संबल भी हैं और गौरव भी !!
महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने लगाया ये आरोप
महिला कांग्रेस की अध्यक्ष विभा पटेल ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब कांग्रेस महिला आरक्षण बिल लेकर आई थी तो भाजपा ने साथ नहीं दिया था। पूर्व में ही कांग्रेस ने बिल को राज्यसभा में पास कर दिया था। बीजेपी महिलाओं को सिर्फ वोट समझती है। चुनाव के मद्देनजर महिला आरक्षण बिल लाया गया है।
यूपीए सरकार ने बिल अटका कर रखा- बीजेपी
वहीं बीजेपी के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा कि दिग्विजय सिंह सफेद झूठ बोलते हैं। कांग्रेस की नाकामियों को ढोल बजाकर पीटने वाला है। महिला आरक्षण बिल 1996 से अधर में लटका है। 1998 में अटल जी ने पहल की, यूपीए की सरकार में बिल अटका कर रखा गया। सरकार जाने के डर से पेश नहीं होने दिया। कांग्रेस ने महिला विरोधी मानसिकता का परिचय दिया। अब बिल ही गाजे-बाजे के साथ सबको बताएगा।
भाजपा विधायक ने कहा- कांग्रेस ने ईमानदार कोशिश नहीं की
भाजपा विधायक कृष्णा गौर ने कहा कि पहले महिला बिल लाया तो गया, लेकिन ऐसे पास करने के लिए कांग्रेस ने ईमानदार कोशिश नहीं की।
आपको बता दें कि संसद के विशेष सत्र के बीच मोदी कैबिनेट की अहम बैठक हुई। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है। इस बिल को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने आखिरकार इस बिल को मंजूरी दे दी। इस मंजूरी के बाद महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा।
MODI कैबिनेट की बैठक में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी, कल संसद में हो सकता है पेश
क्या है महिला आरक्षण बिल ?
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो–इंडियन के लिए उप–आरक्षण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती है। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा।
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