कुमार इंदर, जबलपुर। अभिनेता सैफ अली खान सहित उनकी मां शर्मिला टैगोर और पटौदी परिवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से झटका लगा है। भोपाल रियासत के अंतिम नवाब मोहम्मद हमीदुल्लाह खान की संपत्ति के उत्तराधिकार के संबंध में ट्रायल कोर्ट द्वारा एक बार फिर से सुनवाई की जाएगी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की अदालत ने उत्तराधिकार के संबंध में ट्रायल कोर्ट के द्वारा साल 2000 में पारित आदेश को निरस्त कर दिया है।

क्या है सैफ अली खान की पुश्तैनी संपत्ति से जुड़ा पूरा मामला?

एमपी हाईकोर्ट के जबलपुर बेंच ने शुक्रवार को यह आदेश भोपाल रियासत के अंतिम नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान की संपत्ति को लेकर चल रहे उत्तराधिकार विवाद को लेकर सुनाया। अपील नवाब हमीदुल्ला खान के वंशज बेगम सुरैया, नवाबजादी कमरताज राबिया सुल्ताल और अन्य की ओर से दायर किया गया था। इस प्रकरण में मशहूर क्रिकेटर नवाब मंसूर अली खान पटौदी, उनकी पत्नी अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, पुत्र सैफ अली खान, बेटियां सबा सुल्तान, सोहा अली खान को पक्षकार बनाया गया था। इस मामले में यसीर और फैजा सुल्तान का दावा था कि नवाब की निजी संपत्ति पर सभी वैध वारिसान का अधिकार है। 

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हाई कोर्ट की एकल पीठ ने ट्रायल कोर्ट को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए निर्देशित किया है कि संपत्ति उत्तराधिकार विवाद की नए सिरे से सुनवाई की जाए। इसके लिए कोर्ट ने 1 साल की मियाद भी तय की है। भोपाल रियासत के वंशज बेगम सुरैया रशीद, बेगम मैहर ताज, नवाब साजिदा सुल्तान, नवाबजादी कमर ताज राबिया सुल्तान, नवाब मैहर ताज साजिदा सुल्तान और अन्य ने भोपाल जिला अदालत द्वारा पारित आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में साल 2000 में दो अपील दायर की थी। अपील में कहा गया था कि भोपाल रियासत के नवाब मोहम्मद हमीदुल्लाह खान का निधन 4 फरवरी 1960 को हो गया था। उनकी मृत्यु भोपाल रियासत का भारत संघ में विलय 30 अप्रैल 1949 में हुआ था। लिखित समझौते के अनुसार विलय के बाद नवाब के विशेष अधिकार जारी रहेंगे और निजी संपत्ति के पूर्ण स्वामित्व के उत्तराधिकार भोपाल सिंहासन उत्तराधिकार अधिनियम 1947 के तहत होगे। 

नवाब की मृत्यु के बाद साजिदा सुल्तान को नवाब घोषित किया था। भारत सरकार ने 10 जनवरी 1962 को पत्र जारी की संविधान के अनुच्छेद 366 (22) के तहत व्यक्तिगत संपत्ति का उल्लेख निजी संपत्ति के रूप में किया था। नवाब मोहम्मद हमीदुल्लाह खान की मृत्यु के बाद उनकी निजी संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक वादीगण और प्रतिवादियों के बीच होना चाहिए था, भोपाल जिला अदालत में संपत्ति उत्तराधिकार की मांग करते हुए आवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिला न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के द्वारा पारित निर्णय के आधार पर उनका आवेदन खारिज कर दिया था। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि ट्रायल कोर्ट ने मामले के अन्य पहलुओं पर विचार किए बिना इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुसार प्रकरण को खारिज कर दिया था। ट्रायल कोर्ट इस तथ्य पर विचार करने में विफल रहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विलय करने पर सिंहासन उत्तराधिकार अधिनियम को खारिज किया गया था। इस अपील में नवाब मंसूर अली खान पटौदी, उनकी पत्नी और अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, अभिनेता और उनके बेटे सैफ अली खान और बेटी सबा सुल्तान और सोहा अली खान को अनावेदक बनाया गया था।

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