राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू होते ही समीकरण बिगाड़ने वाले एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। इंतजार हो रहा है 21 अक्टूबर का, जिस दिन से विधायक बनने के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। इस खास रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि जीत की मानसिकता से भले ही नहीं, लेकिन जीत के समीकरण बिगाड़ने के लिए कितने नेता मैदान में उतरते हैं और जनता से उनको क्या सियासी जवाब मिलता है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 230 प्रत्याशियों की जीत होना सुनिश्चित है, लेकिन किस्मत आजमाने करीब तीन हजार नेताजी चुनावी दंगल में उतरने वाले हैं। इन तीन हजार में से 80 प्रतिशत से अधिक प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त होगी। हम ऐसा पिछले तीन दशक के अनुभव के आधार पर कह रहे हैं। प्रदेश में चुनाव के लिए ढ़ाई से तीन हजार बीजेपी-कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी के साथ अन्य दल और निर्दलीय प्रस्याशी मैदान में उतरते हैं और दो से ढ़ाई हजार से अधिक जमानत जब्त करा बैठते हैं।
2018 में 119 पार्टियों ने लड़ा था चुनाव
2018 के विधानसभा चुनाव में पांच राष्ट्रीय, सात क्षेत्रीय सहित अन्य 119 पार्टियों ने मैदान में अपने प्रत्याशियों को उतारा, जबकि 1094 निदर्लीय प्रत्याशी चुनाव लड़े। कुल 2899 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। इनमें 230 की जीत हुई और 279 को जमानत बचाने योग्य वोट मिले जबकि 2390 की जमानत जब्त हो गई थी। निर्वाचन आयोग ने जमानत गंवाने वालों की 2 करोड़ 39 लाख राशि जब्त की थी।
तीन दशक के आंकड़े
- 1990 में रिकॉर्ड 3530 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई। कुल 4215 प्रत्याशी मैदान में उतरे और जीतने वाले प्रत्याशियों के अलावा 365 ही जमानत बचा पाए।
- 1993 में 2995 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई। कुल 3729 प्रत्याशी मैदान में उतरे और हारे 414 ही जमानत बचा पाए।
- 1998-2000 के विभाजन से पहले प्रदेश में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ मिलाकर 320 सीट थीं। इस चुनाव में 2510 प्रत्याशी मैदान में उतरे, 1778 की जमानत जब्त हुई और हारे 392 प्रत्याशी ही जमानत बचा पाए।
- 2003 में 2171 प्रत्याशी मैदान में उतरे, 1655 की जमानत जब्त हुई जबकि हारने वाले 286 ही जमानत बचा पाए।
- 2008 में 3179 प्रत्याशी मैदान में उतरे, 2654 की जमानत जब्त हुई जबकि हारने वाले 295 की जमानत बचा पाए।
- 2013 में कुल 2583 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, 2080 की जमानत जब्त हुई। हारे प्रत्याशियों में 273 ही जमानत बचाने योग्य वोट ला पाए।
पार्टियां ही उतारती हैं डमी प्रत्याशी
चुनाव में जातिगत, एक जैसा नाम, एक जैसा सरनेम सहित अन्य समीकरण साधकर विपक्षी प्रत्याशी के वोट काटने के लिए कई सीटों पर राजनैतिक पार्टियां ही निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर डमी प्रत्याशी मैदान में उतार देती हैं, तो कुछ नेता राजनैतिक दलों का समीकरण बिगाड़ने के लिए भी चुनावी मैदान में उतरते हैं।
कब जब्त होती है जमानत राशि
चुनाव में प्रत्याशियों से सिक्योरिटी राशि जमा कराई जाती है। विधानसभा के लिए 10 हजार रुपए तय हैं। एससी-एसटी प्रत्याशी को आधी राशि जमा करना होती है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार प्रत्याशी को उसकी सीट पर हुए कुल मतदान के छठे हिस्से से कम वोट मिलते हैं तो जमानत जब्त मानी जाती है और सिक्योरिटी राशि जमा कर ली जाती है।
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