शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश के निकाय चुनाव के परिणाम के बाद बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टी जश्न मना रही है। जनता के फैसले को दोनों पार्टियां अपने पक्ष में बता रही है, लेकिन इन परिणामों ने कई दिग्गजों की सियासी जमीन हिला दी है। कई बड़े नेताओं के क्षेत्र में प्रत्याशियों को हार मिली है।
विधासनभा चुनाव के 15 महीने पहले हुए निकाय चुनाव में बड़े उल्टफेर देखने को मिले हैं। 16 में से 7 महापौर सीट गंवाने के साथ-साथ बीजेपी के कई बड़े नेता घर में घिरते नजर आए हैं। विंध्य और ग्वालियर से जो नतीजे आए हैं, वो काफी चिंता वाले हैं। दो-दो मंत्रियों के इलाके से कांग्रेस को बढ़त मिली है। ग्वालियर को केंद्रीय मंत्री सिंधिया का गढ़ माना जाता है, लेकिन यहां से कांग्रेस की शोभा सिंह जीती हैं। इसी तरह कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के मुरैना में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। वहां कांग्रेस प्रत्याशी शारदा सोलंकी ने जीत दर्ज की है। ऐसी ही स्थिति कांग्रेस अंदर भी है। कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे जीतू पटवारी और पीसी शर्मा की विधानसभा में बीजेपी को बड़ी जीत मिली है। बीजेपी-कांग्रेस के करीब एक दर्जन मंत्री और विधायक है, जिसके विधानसभा क्षेत्र में उनकी पार्टी को हार मिली है।
वो दिग्गज जो नहीं जिता पाए अपनी विधानसभा
विधायक जीतू पटवारी अपने ही विधानसभा में दमखम नहीं दिखा पाए। इनकी विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी 30 हजार वोट से हारा।
विधायक पीसी शर्मा की विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी करीब 8 हजार वोट से हारा।
विधायक संजय शुक्ला, कांग्रेस (महापौर प्रत्याशी) खुद की विधानसभा से करीब 20 हजार वोटों से हारे।
विधायक सिद्धार्ध कुशवाह (कांग्रेस) अपनी विधानसभा से करीब 26 हजार से हारे।
उज्जैन पारस जैन भी अपनी विधानसभा में जादू नहीं चला पाए। बीजेपी प्रत्याशी को भले ही मेयर चुनाव में जीत मिली, लेकिन उनकी विधानसभा से करीब 10 हजार से पीछे रहे।
विधायक राजेन्द्र शुक्ला, बीजेपी विधानसभा हारे (गृह क्षेत्र हारे)
सिंगरौली, बीजेपी रामलल्लू वैश्य,विधायक, बीजेपी
बीजेपी महेन्द्र हार्डिया, पूर्व मंत्री, विधायक (साढ़े पांच हजार से हारे)
प्रद्युमन सिंह तोमर, विधायक (गृह क्षेत्र हारे), ग्वालियर विधानसभा साढ़े 5 हजार से हारे
ग्वालियर ग्रामीण, मंत्री भारत कुशवाह की विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी 628 वोटों से हारा।
निकाय के परिणाण मंत्री, विधायकों के लिए अलर्ट अलार्म है। वक्त रहते ये सियासी महारथी अगर अपनी सियासी जमीन मजबूत कर लेंगे तो इन सभी के लिए परिणाम 2018 जैसे सुखद रहेंगे। कहीं चूक हुई तो निकाय के परिणाम रिपीट हो जाएंगे।
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