रायपुर-छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में स्थित भोरमदेव अभ्यारण्य को टाईगर रिजर्व बनाने का रास्ता साफ हो गया है। मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ वन्यजीव बोर्ड की बैठक में टाइगर रिजर्व बनाए जाने की सैद्धांतिक सहमति दे दी। भोरमदेव अभ्यारण्य देश के प्रसिद्ध कान्हा टाईगर रिजर्व की सीमा से लगा हुआ है। इस अभ्यारण्य की जैव विविधता कान्हा टाईगर रिजर्व के समान है। 351.24 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले भोरमदेव अभ्यारण्य में वन्य जीवों के लिये पानी की उपलब्धता है। भोरमदेव अभ्यारण्य में संकरी और फेन नदी का उद्गम तथा सीमावर्ती रेंगाखार के वनक्षेत्र में बंजर एवं हेलो नदी का उद्गम क्षेत्र है, जो कान्हा टाईगर रिजर्व में बड़ी नदी का रूप ले लेती है।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि भोरमदेव अभ्यारण्य के लिए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से बारहसिंघा को लाया जाएगा, क्योंकि यहां का पर्यावरण एवं रहवास बारहसिंघों के लिये उपयुक्त है। साथ ही बारनवापारा अभ्यारण्य में मध्यप्रदेश से 40 काले हिरण लाने का निर्णय भी बैठक में लिया गया। बारनवापारा अभ्यारण्य में काले हिरणों के लिये बाड़े का निर्माण किया जा रहा है। बारनवापारा अभ्यारण्य से वन्य जीव 40 गौर को गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में ले जाने का निर्णय लिया गया।
बैठक में जंगली हाथियों से जन-धन हानि को रोकने के लिये नई रणनीति पर विचार किया गया। जिसके अनुसार हाथियों का नए क्षेत्रों बलौदाबाजार एवं महासमुंद जिले में प्रसार रोकने के लिये विशेषज्ञों की सहायता से हाथियों को इन जिलों से बाहर किया जाएगा। तमोरपिंगला अभयारण्य में हाथियों के लिये बचाव और पुनर्वास केंद्र बनाने का निर्णय लिया गया। इसी तरह हाथियों के लोकेशन जानने के लिये विशेषज्ञों की सहायता से बारह हाथियों को रेडियो काॅलर लगाने का निर्णय लिया गया। हाथियों को मुख्य रूप से गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान और एलीफेंट रिजर्व-तमोरपिंगला, सेमरसोत और बादलखोल अभयारण्य तथा बड़े वन क्षेत्रों में सीमित रखने की रणनीति अपनाई जाएगी।