रायपुर. मुख्यमंत्री पद का शपथ ग्रहण करने के बाद भूपेश बघेल जब बुधवार को आनंदधाम पहुंचे, तो वह पल कई मायनों में अविस्मरणीय था. एक तरफ जहां शिष्य के रूप में अपने गुरुदेव के प्रति मौजूद श्रद्धा और प्रगाढ़ हो चुकी थी, वहीं दूसरी ओर एक गुरू के मन में शिष्य को लेकर किए गए संकल्प के पूर्ति पर संतुष्टि का भाव था. यह भाव स्वाभाविक भी था क्योंकि गुरुदेव रितेश्वर जी महाराज ने भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के लिए मौन व्रत लिया हुआ था, जो दो महीने बाद जाकर खत्म हुआ.
आनंदधाम में मौजूद शिष्य बताते हैं कि गुरुदेव ने दो महीने पहले भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मौन व्रत का संकल्प लिया था. उस वक्त किसी को भी भूपेश बघेल का मुख्यमंत्री बनना तो दूर कांग्रेस बहुमत में आएगी इसकी तक उम्मीद नहीं थी. लेकिन दो महीनों में माहौल ऐसा बदला कि न केवल भाजपा की करारी हार हुई, बल्कि कांग्रेस को दो-तिहाई बहुमत भी मिला. इसके साथ ही दो दावेदारों को पछाड़कर भूपेश बघेल मुख्यमंत्री के पद पर भी काबिज हुए.
भूपेश बघेल ने काफी संघर्ष किया
मुख्यमंत्री के तौर पर जब बुधवार को भूपेश बघेल आनंदधाम में पहुंचे तो न केवल मौजूद शिष्यों में बल्कि गुरुदेव के भी मन में संतोष का भाव था. बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आशीर्वाद देने के बाद रितेश्वर जी महाराज ने कहा कि भूपेश बघेल ने काफी संघर्ष किया है. उम्मीद है वे मुख्यमंत्री के तौर पर अच्छा करेंगे. राजनीति में बदलाव होना चाहिए. रमन सिंह भी पारिवारिक आदमी हैं, लेकिन ज्यादा समय तक बैठी रही सरकार को बदलना जरूरी रहता है. रहा सवाल कौन अच्छा है, या बुरा इसका प्रमाण जनता देती है.