अमित मिश्रा
रायपुर- जमीन घोटाले मामले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल के खिलाफ आर्थिकअपराध अन्वेषण ( ईओडब्ल्यू) में आज मामला दर्ज कर लिया गया। ईओडब्ल्यू ने 120 बी, 13 (1), 13 (2) (पीसी एक्ट) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। भूपेश पर आरोप है कि गरीब, आदिवासियों और दलितों के लिए आरक्षित जमीन को अवैध तरीके से अपनी मां और पत्नि के नाम आबंटित कराया है। हाल ही में जोगी कांग्रेस के नेता औऱ पूर्व मंत्री विधान मिश्र ने दस्तावेजी प्रमाण के आधार पर मामले का खुलासा करते हुए कार्यवाही की मांग की थी। साथ ही इसकी शिकायत शासन से भी की थी। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में ना केवल भूपेश बघेल के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया है, बल्कि उनकी पत्नि मुक्तेश्वरी बघेल और माता बिंदेश्वरी बघेल को भी आरोपी बनाया है।
बताया जा रहा है कि भिलाई के मानसरोवर सोसाइटी में जिस वक्त जमीन का आबंटन किया गया, उस वक्त भूपेश बघेल साडा के सदस्य थे। उन पर आऱोप लगाया जा रहा है कि अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए गरीबों के हिस्से का 8 हजार 137 वर्गफुट प्लाट अपनी पत्नि और मां के नाम आबंटित करा दिया। पत्नि मुक्तेश्वरी बघेल के नाम 4 हजार 68 वर्गफुट और मां बिंदेश्वरी बघेल के नाम 4 हजार 68 वर्गफुट जमीन आबंटित कर दी गई।
विधान मिश्रा ने दुर्ग में लिए एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जारी किए गए दस्तावेज के जरिए कहा था कि जांच रिपोर्ट में ये स्पष्ट तौर पर उल्लेखित है कि जिन एक दर्जन प्लाट को भूपेश के परिजनों को आबंटित किया गया था, उसके आबंटन का प्रस्ताव साडा के बोर्ड के सामने पेश ही नहीं किया गया था। बिना बोर्ड की इजाजत के इन प्लाटों का आबंटन किया गया था। भूपेश की पत्नि और मां के नाम 28 मार्च 1995 को साडा में आवेदन लगाया गया था। जिस दिन आवेदन लगा उस दिन ही मुक्तेश्वरी बघेल के नाम 31 हजार रूपए और बिंदेश्वरी बघेल के नाम 44 हजार रूपए जमा भी करा दिया गया। बताया जा रहा है कि राशि जमा करने के 11 वें दिन ही प्लाट का आबंटन भी कर दिया गया। आरोप है कि भूपेश बघेल के राजनीतिक दबाव की वजह से प्रक्रियाएं तेजी से चलाई गई।
आऱोप ये भी है कि निम्न आय़ वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आऱक्षित प्लाट का अभिन्यास परिवर्तन करने का आधिकार राज्य शासन को है, लेकिन साडा ने अभिन्यास परिवर्तन भी कर दिया। जमीन के लिए आवेदन करने वाली मुक्तेश्वरी बघेल और बिंदेश्वरी बघेल ने खुद की आय 25-25 हजार रूपए दर्शाया था, लेकिन कृषि से होने वाली उनकी आय इससे अधिक थी। इस तरह झूठा शपथ पत्र पेश करने का आऱोप है।
8 दिसबंर 2014 राज्य वित्त आय़ोग के पूर्व अध्यक्ष विरेन्द्र पांडे ने इस मामले की शिकायत सरकार से की थी। सरकार ने तत्कालीन कलेक्टर दुर्ग से शिकायत की जांच कराने कहा। तत्कालीन एडीएम सुनील जैन की अध्यक्षता वाली कमेटी में राजस्व अधिकारी नगर निगम भिलाई एचके चंद्राकर व प्रभारी संयुक्त संचालक नगर एवं ग्राम निवेश विनीत नायर शामिल थे। तत्कालीन कलेक्टर ने 9 अप्रैल 2015 को जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी।
दर्जनभर जमीन पर आलीशान बंगला बनवाने के मामले की शिकायत 30 जनवरी 2017 को पूर्व मंत्री विधान मिश्रा व विधायक आरके राय ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से दस्तावेजों सहित की थी।