भूपेंद्र सिंह चौहान, रायगढ़। धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में पारंपरिक त्योहारों की शुरुआत हरेली से होती है. किसान के इस त्योहार में घर में मौजूद कृषि उपकरणों की पूजा की जाती है. सदियों पुरानी यह परंपरा इस बार अलग ही अंदाज में मनाई जाएगी, क्योंकि इसी दिन से प्रदेश सरकार हरेली त्योहार से गोधन न्याय योजना का क्रियान्वयन करने जा रही है.

किसानों के जीवन में गायबैल का विशेष महत्व है. यही वजह है कि हरेली जैसे त्योहारों का कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ में विशेष महत्व है. समय के साथ कृषि के मशीनीकरण से इनका महत्व कम हो गया है, जिसे पुन: स्थापित करने के लिए सरकार किसानोंपशुपालकों से डेढ़ रुपए किलो के हिसाब से गोबर खरीदने जा रही है. गोबर का कंपोस्ट खाद बनाकर खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाई जाएगी. वहीं गौठान को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न आर्थिक गतिविधियां संचालित की जाएगी. इस योजना के बारे में जब लल्लूराम डॉट कॉम ने समाज के विभिन्न संगठन से जुड़े लोगों से चर्चा की. सभी ने योजना को ऐतिहासिक बताते हुए इसे छत्तीसगढ़ के किसानों के जीवन को बदलने वाला करार दिया.

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र पांडे ने कहा कि हरेली के दिन गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया जाना वास्तव में सराहनीय कदम है, क्योंकि भूपेश बघेल की सरकार ने आते ही नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी की कल्पना के साथ में छत्तीसगढ़ की अस्मिता को पहचाना है. छत्तीसगढ़ नागरिक होने के नाते यह गौरव की बात है. गोधन न्याय योजना के तहत यह पशुपालकों से गोबर खरीदा जाएगा, जिससे आने वाले समय में कंपोस्ट खाद बनेगा. कंपोज खाद से फसल पैदावार में वृद्धि होगी और रसायनिक खाद से छुटकारा मिलने के साथसाथ मानव शरीर को होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकेगा. यह जो प्रयास भूपेश सरकार के द्वारा किया जा रहा है, इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है.

दिव्य शक्ति सामाजिक संस्था की अध्यक्षा कविता बेरीवाल ने कहा कि गोधन न्याय योजना किसानों के लिए एक उपहार है. किसानों के साथ आम जनता को भी बहुत लाभ मिलेगा। किसानों को सस्ते दर पर खाद मिलेगा और आम जनता को केमिकल युक्त अनाज से मुक्ति मिलेगी. कुछ पशुपालक गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसे खुला छोड़ देते थे, इस योजना से किसानपशुपालक अब वैसा नहीं करेंगे, जिससे गायों को खुला छोड़ने से होने वाली समस्या दूर हो जाएगी. मैं सरकार की गोधन न्याय योजना के लिए अग्रिम बधाई देती हूं, और किसानों को शुभकामनाएं देती हूं.

चेंबर ऑफ कॉमर्स के महामंत्री हीरा मोटवानी का ने कहा कि पशुपालक पहले गाय का गोबर को बेकार समझते थे, या खेत में उपयोग करते थे. वह अब अपने गाय का गोबर को गोठान में बेचकर 1.50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से सरकार उनको पेमेंट देगी. समाचार पत्रों के माध्यम से यह भी जानकारी मिली थी अब सरकार 2 रुपए प्रति किलो खरीदने वाली है. किसानों से लिए गए गाय के गोबर को गौठान के माध्यम से कंपोस्ट खाद बनाया जाएगा. वहीं खाद बाद में किसानों को एक निश्चित मूल्य में दिया जाएगा. यह एक अच्छी योजना है. गाय के गोबर को अनुपयोगी समझते हुए कहीं भी फेंक देते थे, या फिर उसका उपयोग नहीं कर पाते थे. अब सरकार की गोधन न्याय योजना के आ जाने से यह समस्या दूर होगी.