रायपुर. सरकार बनाने से पहले और सरकार बनाने के बाद भूपेश बघेल सरकार नक्सलियों को लेकर नई रणनीति के तहत काम करने की बात कह रही है, जिसे अब अमलीजामा पहनाने का काम शुरू कर दिया गया है.

जानकारी के अनुसार, भूपेश बघेल सरकार सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाने जा रही है. कमेटी में रिटायर डीजीपी समेत पांच या इससे अधिक विशेषज्ञ रखे जाएंगे. इसके लिए राज्य सरकार खाका खींच रही है. इसके बाद कमेटी नक्सल मामलों पर पुनर्विचार के लिए बिंदु तय कर प्रकरणों पर सुनवाई करेगी.

बस्तर में मानवाधिकार के लिए कार्य कर रहे विशेषज्ञों के मुताबिक, बस्तर की जेलों में नक्सल गतिविधियों को लेकर करीब डेढ़ हजार आदिवासी बंद हैं. इसमें सबसे ज्यादा जगदलपुर जेल में निरुद्ध है, इसके बाद दंतेवाड़ा और फिर सुकमा, बीजापुर व कांकेर का नंबर आता है.

टाइम लाइन

नक्सली समस्या से निपटने के लिए पूर्ववर्ती डॉ. रमन सिंह सरकार ने भी अपनी ओर से कवायद की थी, लेकिन उसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकलते देख सरकार ने दिशा बदल ली. रमन सरकार की यह कवायद माओवादियों के सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण के शुरू हुई थी.

21 अप्रैल 2012 – सुकमा के कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का मांझीपारा गांव से माओवादियों ने अपहरण किया. कलेक्टर की रिहाई के लिए सरकार ने माओवादियों से चर्चा की शुरूआतकी. माओवादियों ने मध्यस्थता के लिए दो नाम तय किए, जिसमें एक नाम बस्तर के पूर्व कलेक्टर बीडी शर्मा और दूसरा नाम प्रो हरगोपाल शामिल थे.

3 मई 2012 – बीडी शर्मा और प्रो. हरगोपाल कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई के लिए माओवादियों से बातचीत करने ताड़मेटला के जंगल गए. नक्सलियों से चर्चा के बाद अलेक्स पॉल मेनन को साथ लेकर लौटे.

3 मई 2012 – छत्तीसगढ़ सरकार ने माओवादियों से हुए समझौते के तहत छत्तीसगढ़ के जेलों में निरुद्ध नक्सलियों के मामलों के पुनर्विचार के लिए मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति का गठन किया.

4 सितंबर 2014 – निर्मला बुच समिति ने ढाई साल की अवधि में नौ बैठकों में जेल में दो वर्ष से अधिक समय से तथा छोटे प्रकरणों में निरूद्ध नक्सलियों से जुड़े 654 मामलों पर विचार किया है, और 306 प्रकरणों में बंदियों की जमानत पर रिहाई की अनुशंसा की.