रायपुर। जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने बोरियाकला में नवग्रह वाटिका और नक्षत्र वाटिका का भूमिपूजन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, विधायक सत्यानारायण शर्मा, महापौर प्रमोद दुबे भी शामिल हुए।

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने इस अवसर पर कहा कि पर्यावरण को शुद्ध करने का एकमात्र माध्यम वृक्ष हैं। आज हर जगह वृक्ष लगाने और पर्यावरण बचाने की बात की जा रही है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में लगभग 10 एकड़ में विकसित की जा रही नवग्रह और नक्षत्र वाटिका से पूरे देश को पेड़-पौधों के महत्व के संबंध में अच्छा संदेश जाएगा। उन्होंने कहा कि वृक्षों से पर्यावरण की शुद्धि होती है। देश में जल मलीन हो गया है, इसलिए आज लोगों ने बोतल का पानी पीना शुरू कर दिया है। हो सकता है आने वाले समय में पानी की बोतल के जैसे ही लोगों को आक्सीजन सिलेंडर लेने की जरूरत पड़े। भारतीय संस्कृति, धर्म और अध्यात्म में पौधों में जीवन माना गया है, भारतीय वैज्ञानिकों ने भी यह साबित किया है। हमारी गौरवशाली संस्कृति में वृक्षों को देव तुल्य मानकर पूजा जाता है। वृक्षोें में पानी डालने से ग्रहों की शांति होती है। उन्होंने राज्य सरकार की ’नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ योजना की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने घुरवा यानी घुरे-कचड़े से जैविक खाद बनाने की योजना प्रारंभ की है। जो शुद्ध अनाज और सब्जियों की पैदावार के लिए आज अति-आवश्यक हो गया है।

बोरियाकला में भव्य मंगल भवन का निर्माण किया जाएगा: भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस वाटिका में 27 नक्षत्रों और नवग्रहों से जुड़े पौधे वैज्ञानिक पद्धति से रोपे जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का आशीर्वाद छत्तीसगढ़ पर है और आगे भी बना रहेगा। जगदगुरू जब भी छत्तीसगढ़ के प्रवास पर आते हैं, तो बोरियाकला अवश्य आते हैं। आज उनके हाथों से वाटिका विकसित करने के पुनीत कार्य की शुरूआत हुई है। संतो के दर्शन का सौभाग्य आज हम सबको मिला है, उन्होंने ग्रामीणों की मांग पर बोरियाकला में भव्य मंगल भवन निर्माण की स्वीकृति की घोषणा की।

वाटिका में लगभग 10 एकड़ में ग्रहों और नक्षत्रों से जुड़े पौधे वैज्ञानिक पद्धति से रोपे जाएंगे

लगभग 10 एकड़ में विकसित की जाने वाली इस नक्षत्र वाटिका और नवग्रह वाटिका में भारतीय ज्योतिष शास्त्र और आयुर्वेद में विभिन्न नवग्रहों और नक्षत्रों से सम्बद्ध वृक्षों के पौधे रोपे जाएंगे। वन विभाग द्वारा भव्य वाटिका विकसित की जाएगी। इस वाटिका में लोगों के लिए योग और प्राणायाम की व्यवस्था ही जाएगी। नवग्रह वाटिका में ग्रहों के अनुसार पौधे रोपे जाएंगे, जो इस प्रकार होंगे – सूर्य-मदार, चन्द्र-पलास, मंगल-खैर, बुध-अपामार्ग, बृहस्पति-पीपल, शुक्र-गूलर, शनि-शमी, राहु-दूब, केतु-कुश।

इसी प्रकार नक्षत्र वाटिका में नक्षत्रों के अनुसार इस प्रकार पौधे लगाए जाएंगे- अश्विनी-कुचिला, भरणी-आँवला, कृतिका-गूलर, रोहिणी-जामुन, मृगशिरा-खैर, आद्रा-काला तेंदू, पुनर्वसु-बांस, पुष्य-पीपल, आश्लेषा-नागकेसर, मघा-बरगद, पू. फाल्गुनी-ढाक, उ. फाल्गुनी-पाकड़, हस्त-रीठा, चित्रा-बेल, स्वाती-अर्जुन, विशाखा-कटाई, अनुराधा-मौलश्री, ज्येष्ठा-चीड़, मूला-साल, पर्वाषाढ़ा-जलवेतस, उत्तराषाढ़ा-कटलहल, श्रवण-मदार, धनिष्ठा-शमी, शतभिषक-कदम्ब, पू. भाद्रपद-आम, उ. भाद्रपद-नीम, रेवती-महुआ।