रायपुर- प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल द्वारा आरएसएस को लिखी गई चिट्ठी पर बीजेपी विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. सुंदरानी ने भूपेश बघेल को नसीहत देते हुए कहा है कि- आरएसएस को जानना है, तो भूपेश को शाखा ज्वाइन कर लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि कई कांग्रेसी नेता भी शाखाओं में आते-जाते रहे हैं. दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए संघ के कार्यक्रम में पहुंचकर संघ से जुड़े लोगों से मिलकर संघ की नीतियों की तारीफ करते थे. यह उनके शिष्टाचार में शामिल था. इससे नीतियां प्रभावित नहीं होती, जबकि आरएसएस को नजदीक से पहचानने का मौका मिलता है, लिहाजा भूपेश बघेल को भी आरएसएस की शाखाओं में जाना चाहिए. आरएसएस को करीब से देखना चाहिए. इससे वह नई चीजें सिखकर अपने दल में भी परिवर्तन ला सकते हैं.

श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि जहां तक शराब का मामला है, मैं भूपेश बघेल को खुली चुनौती देता हूं कि कांग्रेस से जुड़े सौ लोग और बीजेपी से जुड़े सौ लोगों का परीक्षण करा लें. कितने लोगों में शराब पीने का गुण पाया जाता है, ये अपने आप प्रमाणित हो जाएगा. वह चाहे तो संघ के किसी भी मुद्दे पर वह बहस करना चाहते हैं, तो किसी भी मंच पर हम बहस के लिए तैयार हैं. हवा हवाई चिट्ठी लिखने से कुछ नहीं होगा. सुंदरानी ने यह दलील भी दी कि जब सरकार चलाना होता है, तब अलग-अलग प्रकार की मजबूरियां होती हैं. उन्होंने कहा कि आरएसएस की विचारधारा कभी शराब को प्रोत्साहन नहीं देती. बीजेपी में शराब पीने वालों को महत्व नहीं दिया जाता है. हम जीतने भी लोग बीजेपी का काम करते हैं, हम मानते हैं कि हमारे संस्कारों शराब की संस्कृति हमारे संस्कारों के विपरित है. हम उन पार्टियों में बैठना पसंद नहीं करते, जहां शराब का सेवन किया जाता है.

भूपेश बघेल की संघ के स्वयंसेवकों को भेजी गई खुली चिट्ठी में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर की गई तल्ख टिप्पणियों को लेकर श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि कांग्रेस भ्रष्टाचार का एक प्रमाण सामने लाकर रख दे. बीते 14 सालों में  कांग्रेस एक मुद्दे पर भी सरकार को घेर नहीं पाई. केंद्र में यूपीए सरकार के दोनों ही कार्यकाल में हमने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तब की सरकार को जमकर घेरा था. आधे मंत्रियों पर चार्जशीट फ्रेम हुई थी. मंत्री रहते हुए यूपीए के नेता जेल भेजे गए थे. क्या कांग्रेस ऐसी परिस्थितियां पैदा कर पाई. हमने तो नेताओं को जेल जाने पर मजबूर कर दिया था. ऐसी स्थिति पिछले 14 सालों में छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस नहीं कर पाई.

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