रायपुर- छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने सरकार पर हमला बोलते हुए उद्योगपति गौतम अडानी को निजी फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. बघेल ने कहा है कि तथ्य और आंकड़ें बताते हैं कि छत्तीसगढ़ की छह बड़ी खदानें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को आबंटित कर दिए गए हैं और इन सभी में पिछले दरवाजे से अडानी की कंपनियों को घुसा दिया गया है. भूपेश बघेल का आऱोप है कि इसका मतलब है कि कोल ब्लाॅक जरूर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के नाम पर हैं, लेकिन खदानों की असली मिल्कियत अडानी की कंपनियों के पास है.

कांग्रेस भवन में हुई प्रेस कांफ्रेंस में भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश में कुल 88 मिनियन टन प्रति वर्ष कोयला निकालने का काम या तो अडानी के पास पहुंच चुका है या फिर इसकी तैयारी की जा रही है. अडानी की कंपनी खुद यह दावा कर रही है कि अगले एक दशक में उनका कोयला उत्पादन 150 मिलियन टन हो जाएगा यानी वह एसईसीएल से बड़े कोयला उत्पादक हो जाएंगे. बघेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता के साथ ठगी की जा रही है और यह जानकारी सरकार छिपा रही है.

भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर लिमिटेड कंपनी को गारे 3 कोल ब्लाॅक आबंटित हुआ है. इसके बाद इस खदान को चलाने और कोयला निकालकर बेचने का ठेका अडानी की कंपनी को दिया गया है. सरकार टेंडर की पूरी काॅपी नहीं दे रही है और यह भी नहीं बता रही है कि एमडीओ यानी माइन, डेवलप औऱ आॅपरेट की नियुक्ति किस आधार पर हुई है. बघेल ने कहा कि सरकार एमडीओ नियुक्त करने की शर्त नहीं बता रही है. साथ ही कोल माइनिंग सर्विस एग्रीमेंट सार्वजनिक करने से भी इंकार कर रही है. जबकि छत्तीसगढ़ की जनता को यह जानने का पूरा अधिकार है कि किन शर्तों के तहत अडानी को एमडीओ नियुक्त किया गया है. पीसीसी चीफ ने कहा कि खबरें हैं कि सीजीएसपीसीएल को बाजार से भी महंगी दरों पर कोयला खरीदना पड़ रहा है. यानी छत्तीसगढ़ की कपंनी के पास कोल ब्लाॅक है और अपना कोयला ही कंपनी महंगी दर पर खरीद रही है.

बेवजह खरीदा जा रहा है कोयला?

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि पतुरिया गिधमुड़ी कोल ब्लाॅक भैया थान पाॅवर प्रोजेक्ट के लिए आबंटित किया गया है. यह पाॅवर प्रोजेक्ट इंडिया बुल्स के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ सरकार को बनाना था. लेकिन यह परियोजना शुरू ही नहीं हो सकी और इंडिया बुल्स वापस चली गई. लेकिन इस कोल ब्लाॅक से कोयला निकालने की तैयारी हो रही है. जब परियोजना ही नहीं है, तो फिर कोयला क्यों निकाला जाएगा? बघेल ने कहा कि पतुरिया गिधमुड़ी कोल ब्लाॅक हसदेव नदी के कैचमेंट एरिया में आता है. अगर यह कोल ब्लाॅक शुरू हो गया. नदी का अस्तित्व ही खतरें में पड़ जाएगा.

तो सरकार ने अब चुप्पी क्यों साधी ?

प्रेस कांफ्रेंस में भूपेश बघेल ने आरोप लगाते हुए कहा है कि जब यूपीए की सरकार थी और गारे-2 कोल ब्लाॅक महाराष्ट्र औऱ तमिलनाडू को देने का फैसला किया गया था. तब राज्य सरकार ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार राज्य के साथ भेदभाव कर रही है. तब यूपीए सरकार ने ओडिशा में एक कोल ब्लाॅक छत्तीसगढ़ को दिया था. लेकिन मोदी सरकार ने गारे -1 कोल ब्लाॅक गुजरात औऱ गारे-2 कोल ब्लाॅक महाराष्ट्र को देने का फैसला किया, तो राज्य सरकार ने चुप्पी क्यों साध ली.

भूपेश बघेल ने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद कोल ब्लाॅकी नीलामी नहीं हुई. सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्रों को कोल ब्लाॅक का आबंटन कर दिया. इससे नीलामी के ऐवज में राज्यों को मिलने वाली राशि का विशुद्ध नुकसान हुआ. अब प्रदेशों को सिर्फ रायल्टी का पैसा मिलता है.

बघेल ने कहा कि तमनार इलाके में 26 गांव को उजाड़ दिया गया. उन्होंने कहा कि मैं तमनार जाकर हालात का जायजा लूंगा. उन्होंने कहा कि तमनार में दो रेल लाइन बिछाई जा रही है. जबकि वहां एक ही रेल लाइन में काम चल सकता है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि इस मामले को लेकर कांग्रेस प्रदेश में बड़ा आंदोलन चलाएगी.