रायपुर- इजराइली खुफिया साइबर कंपनी एनएसओ के बनाए पेगासस साफ्टवयेर के जरिए राज्य के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी कराए जाने के मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया है. भूपेश सरकार ने इसकी जांच के लिए कमेटी का गठन किया है. चर्चा यह भी है कि रमन सरकार के दौरान इजराइली कंपनी एनएसओ ने राज्य के आला अधिकारियों के सामने साॅफ्टवेयर के जरिए जासूसी कराए जाने को लेकर प्रेजेंटेशन दिया था. कमेटी इस दिशा में भी जांच करेगी कि क्या पिछली सरकार में इस तरह से जासूसी कराई गई थी या नहीं?
गृह सचिव सुब्रत साहू के नेतृत्व में बनाई गई जांच कमेटी में रायपुर रेंज के आईजी आनंद छाबड़ा और जनसंपर्क आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा शामिल हैं. यह कमेटी एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी. बता दें कि छत्तीसगढ़ के चार मानवाधिकार-सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया, शालिनी गेरा, डिग्री प्रसाद चौहान तथा आलोक शुक्ला के व्हाट्स एप के जरिए जासूसी कराए जाने की खबरें सामने आई थी. सरकार ने अब इसकी जांच कराए जाने का फैसला लिया है. जांच के लिए कमेटी गठित किए जाने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा है कि-
जासूसी करना जासूसों का काम है, वो इसे करते रहेंगे. नागरिकों की निजता को सुरक्षित रखना मेरी जिम्मेदारी है, मैं भी इसे करता ही रहूंगा.
गौरतलब है कि पिछले महीने ही यह खबर सामने आई थी कि व्हाट्स एप के जरिए कई भारतीय पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी कराई गई. यह जासूसी इजराइल की साइबर फर्म एनएसओ के बनाए साॅफ्टवेयर पेगासस के जरिए की गई. यह जासूसी लोकसभा चुनाव के दौरान हुई थी. इस खुलासे के बाद हड़कंप मच गया था. व्हाट्स एप ने भी बयान जारी कर यह कहा था कि 29 अप्रैल से 10 मई के बीच यह जासूसी की गई थी.