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रायपुर। छत्तीसगढ़ के नगरीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण कर ‘कृष्ण कुंज’ (krishna kunj) विकसित करने के लिए कृष्ण जन्माष्टमी को एक साथ ‘कृष्ण कुंज’ का लोकार्पण किया जाएगा. बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के नगरीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण कर ‘कृष्ण कुंज’ विकसित करने के संबंध में घोषणा की थी.
इसी कड़ी में राज्य सरकार ने सभी कलेक्टर और वनमंडलाधिकारी को पत्र भेजकर नगरीय निकायों में अगस्त महीने में ‘कृष्ण कुंज’ के लोकार्पण के लिए सभी आवश्यक तैयारियों के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए हैं. इसमें यह भी निर्देशित किया गया है कि ‘कृष्ण कुंज’ की स्थापना के लिए स्वीकृति सहित आवश्यक कार्रवाई अगस्त के पहले सप्ताह तक हर हालत में पूरी कर ली जाए. पत्र में कहा गया है कि राज्य में एकरुपता प्रदर्शित करने के लिए ‘कृष्ण कुंज’ को विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख कार्यालय की ओर से लोगो और गेट का डिजाइन अलग से भेजा जाएगा. इनमें फैंसिंग सहित बजट उपलब्धता के आधार पर स्थानीय संस्कृति को बाउंड्रीवाल में प्रदर्शित करने के लिए भी आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
सांसकृतिक महत्व के जीवनोपयोगी पेड़ों का संरक्षण करना उदेश्य
मुख्यमंत्री बघेल ने ‘कृष्ण कुंज’ (krishna kunj) को विकसित करने के संबंध में घोषणा की है कि हमारे देश में बरगद, पीपल, कदंब और अन्य वृक्षों की पूजा करने की परंपरा अत्यंत प्राचीन है. मनुष्य के लिए वृक्षों की अत्यधिक उपयोगिता होने के कारण ही हमारी पंरपराओं में इन्हें महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, लेकिन पिछले कुछ सालों में नगरीय क्षेत्रों का तेजी से विकास होने के कारण वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई से वृक्षों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. अगर यही स्थिति रही तो कदाचित भावी पीढ़ियों को इन वृक्षों के परंपरागत महत्व के बारे में जानकारी तक नहीं हो सकेगी. इसलिए वृक्षों की अमूल्य विरासत का संरक्षण हम सबका परम कर्तव्य है. ये बेहद आवश्यक है कि मनुष्य के लिए जितने भी जीवनपयोगी वृक्ष हैं, उन्हें सभी नगरीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर लगाया और संरक्षित किया जाए.
इन पेड़ों का किया जाएगा रोपण
छत्तीसगढ़ के सभी नगरीय निकायों में न्यूनतम एक एकड़ की भूमि में सांस्कृतिक महत्व के जीवन उपयोगी वृक्षों का रोपण करते हुए ‘कृष्ण कुंज’ विकसित किया जाएगा. इनमें आम, ईमली, गंगा ईमली, जामुन, बेर, गंगा बेर, शहतूत, तेंदू, चार, अनार, गूलर कैथा, कदम्ब, पीपल, नीम, बरगद, बबूल, पलाश अमरूद, सीताफल, बेल और आंवला प्रजाति के पौधे को रोपण के लिए शामिल किया गया है. यह भी निर्देशित किया गया है कि सभी पौधे चयनित रोपण क्षेत्रों पर पहुंच जाने चाहिए और रोपण कार्य वर्षा के आधार पर जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए. साथ ही ‘कृष्ण कुंज’ के लिए वन विभाग को आबंटित भूमि को विकसित कर सारी कार्रवाई तत्काल पूरी कर ली जाए. ताकि आगामी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूरे राज्य में अनिवार्य रूप से ‘कृष्ण कुंज’ में वृक्षों का रोपण कार्य विधिवत प्रारंभ किया जा सके.
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