फीचर स्टोरी। अगर महात्मा गांधी जिंदा होते तो वे छत्तीसगढ़ में अपने सपनों को साकार होते देख रहे होते. गांधी का सपना छत्तीसगढ़ में साकार हो रहा है. गांधी ने जिस भारत की कल्पना की थी, उस भारत को छत्तीसगढ़ में उतरते देखा जा सकता है. गांवों का भारत, आत्मनिर्भर गांवों का भारत, स्वालंबी गांवों का भारत. एक ऐसा भारत जहां गांव-गांव उन्नति, प्रगति और समृद्धि हो. ऐसे ही गांवों का भारत बन रहा है छत्तीसगढ़.
छत्तीसगढ़ जहां से बापू के सुराज को देखा जा सकता है. जहां बापू के सुराज को लाने वाले भूपेश सरकार के काम-काज को देखा जा सकता है. सरकार ने ऐसी योजनाएं शुरू की जिससे गांवों में समृद्धि आ सकें. गांववालों की जरूरत गांव से ही पूरी हो सकें, ग्रामीण आर्थिक रूप से संपन्न बन सकें. बीते 4 सालों में सरकार की योजनाओं से ऐसा संभव भी हुआ है.
भूपेश सरकार ने महात्म गांधी के गांव आधारित योजनाओं को प्राथमिकता के साथ शुरू किया और धरातल में क्रियान्वयन पर जोर दिया. सरकार जिन योजनाओं को अपनी महत्वकांक्षी योजनाओं में शामिल किया है उनमें- नरवा-गरवा, घुरवा-बारी (सुराजी योजना), गोधन न्याय योजना, भूमिहीन खेतिहर मजदूर न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना. दरअसल राज्य सरकार की प्राथमिकता में गांव, खेती और किसान है. सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहित करने और लाभांवित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.
बड़ी बातें
- छत्तीसगढ़ में साकार हो रही बापू के स्वावलंबी गांवों की परिकल्पना: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
- मुख्यमंत्री ने गन्ना प्रोत्साहन योजना में किसानों को 68.90 करोड़ रुपये का किया भुगतान.
- गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों के खाते में 5.35 करोड़ रुपये की राशि का ऑनलाईन अंतरण.
- गोबर खरीदी के एवज में गोबर विक्रेताओं को अब तक किया गया 179.28 करोड़ रुपये का भुगतान.
- रबी सीजन में भी वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग को प्रोत्साहित करें.
- स्वावलंबी गौठानों ने अब तक अपने संसाधनों से 24.15 करोड़ रुपये की गोबर खरीदी की.
गोधन न्याय योजना
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गोधन न्याय योजना के तहत गांवों में बनाए गए गौठानों में से 3089 गौठान स्वावलंबी हो गए हैं. योजना के शुरू होने के बाद से अब तक 179.28 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. इसी तरह अब तक गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को 164.24 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.
सुराजी योजना और जैविक खेती
जैविक खेती की ओर बढ़ते कदम को सरकार की ओर जारी किए गए इन आँकड़ों से भी समझिए. राज्य में अब तक 10,624 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 8408 गौठान निर्मित एवं 1758 गौठान निर्माणाधीन है. गोधन न्याय योजना से 2 लाख 78 हजार से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं. गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 46 प्रतिशत महिलाएं है. गौठानों में महिला समूहों द्वारा 17.80 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 5.30 लाख क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट एवं 18,924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से क्रमशः 10 रूपए, 6 रूपए तथा 6.50 रूपए प्रतिकिलो की दर पर विक्रय किया जा रहा है.
गोमूत्र खरीदी
राज्य के 83 गौठानों में 4 रूपए लीटर की दर से अब तक 76 हजार 820 लीटर गौमूत्र क्रय किया जा चुका है। गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा 24,348 लीटर कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र और 18,722 लीटर वृद्धिवर्धक जीवामृत तैयार किया गया है, जिसमें से 20,521 लीटर ब्रम्हास्त्र और 14,055 लीटर जीवामृत की बिक्री से कुल 15 लाख रूपए की आय हुई.
राजीव गांधी किसान न्याय योजना
छत्तीसगढ़ में कुल कृषि योग्य भूमि क्षेत्र 46.77 लाख हेक्टेयर है। राज्य की 70% आबादी कृषि में लगी हुई है और लगभग 37.46 लाख किसान परिवार हैं. इस योजना का उद्देश्य फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करना और कृषि क्षेत्र में वृद्धि करना है. योजना के तहत प्रदान किए गए 5750 करोड़ रुपये चार किस्तों में किसानों के खातों में स्थानांतरित किए गए. इस योजना से राज्य के 19 लाख किसान लाभान्वित हुए. योजना के प्रारंभिक वर्ष में धान, मक्का और गन्ना (रबी) फसलों को शामिल किया गया था. वर्ष 2020-21 में दलहन और तिलहन फसलों को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया है.
इस योजना के तहत आगामी खरीफ सीजन की तैयारी के लिए किसानों को 21 मई 2021 को 1500 करोड़ रुपये मिले. इनपुट सब्सिडी के रूप में राशि प्रदेश के 22 लाख किसानों के बैंक खातों में सीधे हस्तांतरित किए गए. पर्यावरण संरक्षण हेतु खेतों में पेड़ लगाने वाले किसानों को रुपये की इनपुट सब्सिडी दी जाएगी. अगले तीन वर्षों के लिए प्रति वर्ष 10 हजार दिये जाएंगे. राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में किसानों के कृषि ऋण माफ करने के अलावा 11 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त प्रोत्साहन भी वितरित किए हैं.
भूमहीन खेतिहर मजदूर न्याय योजना
छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बहोल द्वारा राजीव गाँधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना 2022 को शुरू किया गया. योजना के तहत उन सभी लोगों को लाभ प्रदान किया जायेगा जो ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि मजदूरी के रूप में कार्य कर रहे है और भूमिहीन है. छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के भूमि से रहित कृषि मजदूरों को साल के आधार पर 6000 रुपये की वित्तीय सहायता राशि प्रदान करेगी. सरकार ने योजना के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है. कृषि मजदूरों के लिए बहुत ही लाभकारी है.
गन्ना उत्पादक किसान
राज्य के गन्ना उत्पादक कृषकों को गन्ना प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत 68 करोड़ 90 लाख रूपए की बोनस राशि का ऑनलाईन अंतरण किया. इस राशि में वर्ष 2020-21 के बोनस की 11.99 करोड़ रुपए की बकाया बोनस राशि और गन्ना पेराई वर्ष 2021-22 की 56.91 करोड़ रूपए की प्रोत्साहन राशि शामिल है.
गन्ना पेराई वर्ष 2021-22 में गन्ना उत्पादक कृषकों को प्रति एकड़ के मान से 10 हजार रूपए एवं शेष राशि गन्ना प्रोत्साहन योजना अंतर्गत दिये जाने का निर्णय लिया गया था. वर्ष 2020-21 में राशि 84.25 प्रति क्विटल की दर से 28.589 कृषकों को 59.14 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना था, जिसमें से 47 करोड़ 12 लाख का भुगतान किया जा चुका है. शेष राशि 11.99 करोड़ का भुगतान भारत सरकार द्वारा घोषित उचित एवं लाभकारी मूल्य के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किया जा रहा है.
राज्य शासन द्वारा वर्ष 2019-20 में 355 रुपये प्रति क्विटल की दर पर गन्ना क्रय किये जाने का निर्णय लिया गया था, जिसके फलस्वरूप वर्ष 2019-20 में गन्ना कृषकों को 93 रुपए 75 पैसे प्रति क्विंटल की दर से 34,637 कृषकों को 73 करोड़ 56 लाख रूपए का भुगतान प्रोत्साहन राशि के तौर पर किया गया था.
राज्य में सकारात्मक बदलाव – भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ में बापू के सुराज पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि यह एक सकारात्मक बदलाव है. राज्य सरकार की भी यह मंशा है कि आने वाले समय में सभी गौठान स्वावलंबी बने. वहां की गतिविधियों का संचालन गौठान समितियां अपने संसाधनों से कर सकें. किसानों के साथ हमने न्याय किया है, भूमिहीन मजदूरों का हमने ख्याल रखा है. खेती की ओर अब नई पीढ़ी का आकर्षण बढ़ा है. महिला समूहों को गांव-गांव में रोजगार मिला है. यह एक नए भारत का उदय है. छत्तीसगढ़ एक मॉडल राज्य के रूप में उभर कर सामने आया है.
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