रायपुर. अमित जोगी और ऋृचा जोगी के जाति प्रमाण पत्र रद्द होने पर रमन सिंह के आरोपों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रतिक्रिया दी है. भूपेश बघेल ने पटना रवना होने से पहले पत्रकारों के सवाल पर जवाब देते हुए बीजेपी को याद दिलाया कि 2003 का विधानसभा चुनाव वो नकली आदिवासी के मुद्दे पर लड़कर सत्ता में आई.
भूपेश बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को याद दिलाया कि एक आदमी आदिवासी हैं या नहीं, इसे प्रमाणित करने में रमन सिंह ने 15 साल लगा दिये. रमन सिंह ने अमित जोगी के आदिवासी होने का प्रमाण पत्र को खारिज होने को षडयंत्र करार दिया था.
भूपेश बघेल ने पलटवार करते हुए कहा कि 15 साल तक जोगी परिवार की रमन सिंह के साथ जुगलबंदी थी. तब जोगी की जाति को लेकर शिकायत भी उनकी पार्टी की ओर से की गई थी और सरकार भी उनकी अपनी थी. भूपेश बघेल कहा कि वे 15 साल में जो नहीं कर पाए वो 18 महीने में हो गया. बीजेपी को इसका स्वागत करना चाहिए.
गौरतलब है कि मरवाही के फैसले पर भाजपा दो फाड़ हो गई है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने फैसले का स्वागत करते हुए इस पर प्रसन्नता ज़ाहिर की है. जबकि रमन सिंह ने इसे षडयंत्र करार दिया है. रमन सिंह ने आरोप लगाया है कि सरकार घबराई हुई है. उन्होने कहा कि वो जोगी परिवार को चुनाव नहीं लड़ने देना चाहती. उन्होंने कहा कि जाति प्रमाण निरस्त कर नामांकन रद्द कराना एक षड़यंत्र है.
गौरतलब है कि रमन सिंह पर ये आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने अपने अपने कार्यकाल में अजीत जोगी को जाति के मसले पर फायदा पहुंचाते रहे. दरअसल, 2011 में गठित पिंगुआ कमेटी की विजिलेंस जांच पूरी होने के बाद कोई निर्णय आता, इससे पहले ही रमन सिंह सरकार ने दोबारा नई कमिटी के गठन का फैसला कर लिया. इसके बाद रीना बाबा कंगाले की अध्यक्षता में जो कमेटी बनी, उसकी रिपोर्ट इस आधार पर खारिज हो गई कि उस कमेटी के लिए रमन सिंह सरकार ने कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया था.