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कुमार इंदर, जबलपुर। एसटीएफ की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी रजिस्ट्री के जरिए बैंक से लोन लेने वाले 9 आरोपियों को किया गिरफ्तार किया है। गिरफ़्तार सभी आरोपी बैंक से मिलीभगत कर लोन लेते और फिर गायब हो जाते। एसटीएफ ने आरोपियों से 15 फर्जी रजिस्ट्री और फर्जी सील भी बरामद की है। गिरफ्त आरोपियों में से एक बैंक का प्लानिंग मैनेजर, दलाल और अन्य बैंक के कर्मचारी है। दरअसल कुछ दिनों पहले एक शख्स ने एसटीएफ को शिकायत थी कि किसी ने उसके मकान की फर्जी रजिस्ट्री बनवाई फिर उसके जरिए लोन निकाल लिया गया, जबकि उसने कभी भी लोन के लिए अप्लाई किया ही नहीं।
गिरोह ने विभिन्न बैंकों से 1.75 करोड़ का लिया लोन
एसटीएफ एसपी के निर्देश पर टीआई निकिता शुक्ला ने जांच शुरू की तो एक के बाद एक कई खुलासे सामने आए। टीम ने जब हिन्दुजा हाउसिंग फाइनेंस कम्पनी में दबिश देकर वहां से रजिस्ट्री जब्त की गई। रजिस्ट्री की जांच पर पाया गया कि, हिन्दुजा हाउसिंग फाइनेंस कंपनी द्वारा जिन रजिस्ट्री के आधार पर लोन दिया गया है, वह असल में सुमित काले के नाम पर हैं, लेकिन बैंक में गिरवी रखने के लिए उन्हें कूटरचित तरीके से तैयार किया गया है। मामले में एसटीएफ में धारा 255, 260, 419, 420 468, 471, 120बी भा.द.वि. का अपराध दर्ज किया गया। एसटीएफ ने आरोपियों और बैंक से 10 फर्जी रजिस्ट्री, 04 पेन कार्ड/आधार कार्ड, एक्सेस बैंक में 6.5 लाख होल्ड करवाये गये है, नकली सील, आरोपियों के मोबाइल, फर्जी रजिस्ट्री बनाने में प्रयोग किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, इस गिरोह द्वारा विभिन्न बैंकों से लगभग 1.75 करोड़ का लोन प्राप्त किया गया है।
कड़ी पूछताछ में गिरोह का भंडाफोड़
एसटीएफ ने जब विकास तिवारी को पकड़कर जब पूछताछ की तो गिरोह का भंडाफोड़ हुआ। पूछताछ में विकास तिवारी ने ये बात कबूल कि वह बैंकों से होम लोन दिलाने का काम करता है। विकास लोगों की असली रजिस्ट्री लेता, जिसके बाद यह रजिस्ट्री संदीप चौबे के जरिए अनीष के पास पहुंचती थी। अनीष दस्तावेजों को कलेक्ट्रेट कार्यालय में लगभग 15 सालों से दलाली करने वाले अनवर के पास पहुंचाता। अनवर द्वारा असली रजिस्ट्री लखनलाल के स्टूडियो लेकर जाई जाती। जहां लखनलाल फोटोशॉप के माध्यम से हूबहु फर्जी रजिस्ट्री तैयार करता। इसके बाद अनवर उनमें उप पंजीयक की फर्जी सील लगाता। जिसके बाद सभी आरोपी मिलकर बैंकों में उक्त रजिस्ट्री को गिरवी रख लोन लेते थे।
पूरे खेल में बैंक मैनेजर भी शामिल
जांच में पता चला की इस गोरखधंधे में एक्सिस बैंक का पूर्व मैनेजर अनुभव दुबे भी शामिल था। अनुभव पकड़े गए आरोपियों से मिलीभगत कर अपने बैंक में लोगों के नाम के फर्जी बैंक अकाउंट खोलता और फिर उन्ही बैंक अकाउंट में फर्जी रजिस्ट्री पर दिए गए लोन की राशि ट्रांसफर कर दी जाती थी। अनुभव ने भी प्रवीण काले की असल जमीन के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर इंडिया सेल्टर हाउसिंग फाइनेंस से लोन लिया था। गिरोह में एक और बैंक का कर्मचारी पुनीत उर्फ राहुल पांडे भी शामिल था, जो अधिकारियों से मिलीभगत कर गिरोह की मदद करता था व बैंक से 06 फर्जी रजिस्ट्री पर लगभग 01 करोड़ का लोन लिया गया था।
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