रायपुर. कोयला घोटाला मामले में राज्य की ACB/EOW शाखा ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल सहित तीन लोगों को गंभीर कानूनी कार्रवाई में घेर दिया है। ACB/EOW की स्पेशल कोर्ट ने रामगोपाल अग्रवाल समेत तीन लोगों के खिलाफ बेमियादी और गैरजमानती वारंट जारी किया है। विधि विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय से नदारद रामगोपाल अग्रवाल को इस वारंट के जारी होने के बाद अग्रिम जमानत जैसे विधिक संरक्षण हासिल करने में गंभीर दिक्कत होगी।

सामान्यतः चालान पेश ना हो तो वारंट जारी नहीं होता है, लेकिन यह छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा मामला बन गया है, जहां चालान/चार्जशीट पेश होने के पहले अन्वेषण के दौरान ही ACB/EOW की विधिक टीम ने आरोपियों के खिलाफ बेमियादी और गैरजमानती वारंट कोर्ट से जारी करा लिया। यह वारंट जारी होने के पहले कोर्ट में इसके कानूनी पहलुओं को लेकर जमकर बहस हुई। विशेष न्यायालय के सामने मुंबई बम कांड से जुड़े एक न्यायिक फैसले को सामने रखा गया, यह फैसला मुंबई बम कांड के अभियुक्त दाउद इब्राहिम कास्कर से जुड़ा हुआ है। इस फैसले में अन्वेषण के दौरान ही कोर्ट से दाउद इब्राहिम कास्कर के खिलाफ गैरजमानती और बेमियादी वारंट जारी हुआ था।

ACB/EOW के अधिवक्ता सिद्धार्थ सिंह ठाकुर की ओर से मुंबई बम कांड से जुड़ा यह न्यायिक आदेश पेश करने के बाद ACB विशेष अदालत के जज नीरज शर्मा ने रामगोपाल अग्रवाल, नवनीत तिवारी सहित तीन के खिलाफ बेमियादी और गैरजमानती वारंट जारी कर दिया।

ये है कोल स्कैम मामला

छत्तीसगढ़ का कोल घोटाला भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री रहते हुए था। इस घोटाले में तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल के बेहद करीबी/विश्वासपात्र लोग आरोपी हैं। इस घोटाले की जांच ईडी और अब ईओडब्लू/एसीबी कर रही है। इस मामले में जांच एजेंसियों का कहना है कि भूपेश बघेल के करीबियों ने कोल घोटाले को अंजाम देने के लिए कोल परिवहन के नियमों को बदल दिया। कोल परिवहन पहले ऑनलाइन था, लेकिन भूपेश सरकार ने एक आदेश के जरिए इसे ऑफ़लाइन कर दिया, फिर राज्य का समूचा प्रशासनिक तंत्र एक प्रकार से घुटनों के बल बैठकर घोटाले को अंजाम देने वालों के सामने नतमस्तक हो गया।

नियमों के अनुसार कोल परिवहन से जुड़े किसी नियम को बदलने के लिए केवल एक आदेश पर्याप्त नहीं होता, बल्कि गजट नोटिफिकेशन जरुरी है, लेकिन भूपेश बघेल सरकार के समय राज्य की सर्वाधिक शक्तिशाली महिला अधिकारी के रूप में पहचानी गई सौम्या चौरसिया जो कि राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी थीं और भूपेश बघेल के सीएम सचिवालय की उप सचिव थीं, उनके प्रभाव से केवल एक आदेश ही पर्याप्त मान लिया गया। उन्हें ( सौम्या चौरसिया ) इस मामले में आरोपी बनाया गया है और वे दिसंबर 2022 से जेल में हैं। जांच एजेंसियों ने इस घोटाले में दो आईएएस समीर बिश्नोई और रानू साहू को भी गिरफ्तार किया। एजेंसियों ने इस पूरे घोटाले का केंद्रित सूर्यकांत तिवारी को बताया। इस कोल घोटाले में अधिकांश आरोपी लगातार जेल में हैं। मामले की जांच एजेंसियां कर रही है।

ACB/EOW में दर्ज मामला

कोल घोटाले को लेकर ACB/EOW में अपराध क्रमांक 3/2024 के तहत एफआईआर दर्ज है। इस एफआईआर में धारा 420,467,468,471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7ए और 12 प्रभावी है।

कुर्की और उद्घोषणा के संकेत

जिस तरह से एसीबी/ईओडब्लू ने रामगोपाल अग्रवाल समेत तीन के विरुद्ध बेमियादी और गैरजमानती वारंट जारी कराया है, उससे यह संकेत है कि जल्द ही ACB/EOW स्पेशल कोर्ट से कुर्की और उद्घोषणा की कार्यवाही करा सकती है। विधि विशेषज्ञों ने इस वारंट को लेकर कहा है कि इस वारंट के जारी होने से अग्रिम जमानत जैसी किसी कानूनी सुरक्षा लेने में दिक्कत होगी, क्योंकि कोर्ट में EOW/ACB यह सफलता से बता सकेंगे कि आरोपी सहयोग नहीं कर रहे हैं बल्कि लगातार भागने/बचने की कवायद में है।