रायपुर। छत्तीसगढ़ के लोहा कारोबारियों को बिजली में सब्सिडी नहीं मिलने पर अब वे अडानी पावर लिमिटेड (APL) से बिजली लेने की तैयारी में जुटे हुए है. पावर ग्रिड के जरिए इसकी आपूर्ति होने पर कारोबारी इसका उपयोग करेंगे. पिछले काफी समय से बिजली बिल में हुए इजाफे के कारण उत्पादन की लागत बढ़ने और नुकसान को देखते हुए इसकी कवायद की जा रही है.

छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बताया कि प्रदेश में लोहा उद्योगों की करीब 800 फैक्ट्री है. इसके जरिए 5 लाख लोग प्रत्यक्ष और 10 लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. उद्योगों को भरपूर बिजली मिलने के कारण लोगों को रोजगार के साथ ही प्रदेश का विकास हुआ है, लेकिन बिजली बिल बढ़ाए जाने के कारण उत्पादन की लागत लगातार बढ़ रही है. पहले जहां मिनी स्टील प्लांट (फर्नेस) उद्योगों में करीब 1300 यूनिट प्रति टन बिजली की खपत होती थी. इससे 8000 रुपए प्रति टन बिजली की लागत आती थी, लेकिन, जून 2024 से बिजली की दर 1.40 रुपए बढ़ाने से 10000 रुपए प्रतिटन की लागत आ रही है. इससे 1800 से 2000 रूपए प्रति टन की लागत बढ़ गई है. जबकि अदानी कंपनी से बिजली लेने पर 5.50 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलेगी.

राज्य में 25 फीसदी महंगी हैं बिजली

लोहा कारोबारियों का कहना है कि इस समय वह 25 फीसदी महंगी बिजली खरीद रहे हैं. मिनी स्टील प्लांट (फर्नेस) बिजली इनसेंटिव वाला उद्योग है. यह 400 से 500 प्रति टन के अंतर में पूरा लोहा कारोबार चलता है. इससे भारी नुकसान को देखते हुए अब उद्योग चलाना असंभव हो गया है.

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