नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है. साथ ही प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे किसानों से घर वापस लौटने की अपील की है. बता दें कि इन तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए लगभग सालभर से कुछ किसान संगठन विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे.

PM मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन की कुछ खास बातें

1. पीएम मोदी ने कहा कि इस महीने के अंत में शुरू हो रहे शीतकालीन संसद सत्र के दौरान तीनों कृषि कानूनों को सदन के जरिए वापस ले लिया जाएगा.

2. उन्होंने कहा कि आज गुरुनानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है और इस मौके पर मैं बताना चाहता हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है. उन्होंने आंदोलन कर रहे किसानों से घर वापस लौटने की अपील की.

3. पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में थे, लेकिन बहुत प्रयासों के बावजूद हम ये बात कुछ किसानों को समझा नहीं पाए. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसानों की स्थिति सुधारने के लिए ही तीन कृषि कानून लाए गए थे. उन्हें अपनी उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए हमने ऐसा किया. सालों से यह मांग की जा रही थी. पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था. इस बार भी चर्चा हुई और मंथन हुआ. देश के कोने-कोने में कई किसान संगठनों ने इसका समर्थन किया.

4. हमारी सरकार किसानों के हित में लगातार एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है. किसानों के लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है.

5. पीएम मोदी ने कृषि विकास और किसान कल्याण को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताया. उन्होंने कहा कि ज्यादातक किसान छोटे किसान हैं. इनके पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है. इन छोटे किसानों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है. छोटी सी जमीन के सहारे ही वह अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारों में होने वाला बंटवारा जमीन को और छोटा कर रहा है, इसलिए हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत इन सभी पर चौतरफा काम किया है.

6. पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि हमने फसल बीमा योजना को अधिक प्रभावी बनाया. उसके दायरे में ज्यादा से ज्यादा किसानों को लाए. किसानों को ज्यादा मुआवजा मिल सके, इसके लिए पुराने नियम भी बदले गए. पिछले 4 सालों में एक लाख करोड़ से ज्यादा का मुआवजा किसान भाईयों को मिला है.

7. पीएम मोदी ने कहा कि हमने अपने ग्रामीण बाजारों को मजबूत बनाया है. छोटे किसानों के लिए कई योजनाएं लाई हैं. किसानों के लिए 5 गुणा अधिक बजट का आवंटन किया है. हमने सूक्ष्म सिंचाई के लिए राशि दोगुनी कर दी है.

 

जानिए क्या था तीनों कृषि कानून, जिसे रद्द किया गया ?

 

1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020- The Farmers Produce Trade and Commerce (promotion and facilitation) Act, 2020– सरकार का कहना था कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है. किसान इस कानून के जरिए अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे. निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर पाएंगे, लेकिन सरकार ने इस कानून के जरिए एपीएमसी मंडियों को एक सीमा में बांध दिया. इसके जरिए बड़े कॉरपोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गई. बिना किसी पंजीकरण और बिना किसी कानून के दायरे में आए हुए वे किसानों की उपज खरीद-बेच सकते थे.

मनीष तिवारी ने राहुल पर साधा निशाना, कहा- ”कांग्रेस को हिंदुत्व पर बहस में शामिल नहीं होना चाहिए”

 

2. कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 (The Farmers Empowerment and Protection Agreement on Price Assurance and Farm Services Act, 2020)- इसके बारे में सरकार का कहना था कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है. इसे सामान्य भाषा में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कहते हैं. आपकी जमीन को एक निश्चित राशि पर एक पूंजीपति या ठेकेदार किराए पर लेता और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेच देता. यह किसानों को बंधुआ मजदूर बनाने की शुरुआत जैसा थी.

ये भी पढ़ें- पंजाब में क्रेडिट वॉर: CM चन्नी के निकलने से पहले ही सुबह 8 बजे 21 भाजपाईयों का दल पहुंचा करतारपुर कॉरिडोर

 

3. आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 (The Essential Commodities (Ammendment) Act 2020)- इसके मुताबिक, अब कृषि उपज जुटाने की कोई सीमा नहीं होगी. उपज जमा करने के लिए निजी निवेश को छूट होगी. सरकार को पता नहीं चलेगा कि किसके पास कितना स्टॉक है और कहां है? इससे जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता. सरकार का कहना था इससे आम किसानों को फायदा ही तो है. वे सही दाम होने पर अपनी उपज बेचेंगे, लेकिन हम ये भी जानते हैं कि देश के अधिकांश किसानों के पास भंडारण की सुविधा नहीं है, क्योंकि हमारे यहां 80% छोटे और मझोले किसान हैं.