वाराणसी। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया. वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने आदेश में कहा कि कोर्ट कमिश्नर को नहीं हटाया जाएगा. वहीं 17 मई से पहले सर्वे का काम पूरा करना होगा.
कोर्ट कमिश्नर को बदलने की याचिका पर मुस्लिम पक्ष को भी बड़ा झटका लगा है. कोर्ट कमिश्नर के साथ दो और वकीलों की नियुक्ति की गई है। 17 मई से पहले सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी.
बता दें कि 56 (ग) के आधार पर मुस्लिम पक्षकारों को कोर्ट कमिश्नर बदलना पड़ा था। इस मांग को सिविल जज ने खारिज कर दिया है. मस्जिद के अंदर सर्वेक्षण का मुस्लिम पक्ष ने 61 (ग) के आधार पर विरोध किया था.
इस मामले में प्रतिवादी अंजुमन व्यवस्था मस्जिद समिति की ओर से अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्रा को हटाने की मांग को लेकर तीन दिन तक बहस चली, जिसके बाद वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों की अपील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. गौरतलब है कि मुस्लिम पक्ष शुरू से ही मस्जिद में किए जा रहे सर्वे और वीडियोग्राफी का विरोध कर रहा था. सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर के बाहर भी हंगामा हुआ और सर्वे व वीडियोग्राफी रोकने की मांग की गई.
उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर से जुड़े विवाद को लेकर हाईकोर्ट में भी 6 मुकदमे चल रहे हैं. इस मामले पर लंबे समय से सुनवाई चल रही है और दोनों पक्षों की ओर से लगातार अलग-अलग दलीलें और सबूत पेश किए जा रहे हैं.
6 मई से शुरू हुआ सर्वे का काम
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 26 अप्रैल को अजय कुमार मिश्रा को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था और ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कर 10 मई को अपनी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. मिश्रा ने वीडियोग्राफी और सर्वे के लिए छह मई का दिन निर्धारित किया था.
छह मई से सर्वे का काम शुरू हुआ था. मुस्लिम पक्ष ने अदालत द्वारा नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त पर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने बिना आदेश के ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी कराने की कोशिश की और उन्हें बदलने के लिए अदालत का रुख किया.