रायपुर। अंतागढ़ टेपकांड मामले में सोमवार को प्रमुख गवाह फिरोज सिद्दिकी एसआईटी के सामने पेश हुए. फिरोज सिद्दिकी ने पुनीत गुप्ता के साथ हुई बातचीत का वीडियो रिकॉर्डिंग और रिकॉर्डिंग उपकरण एसआईटी को सौंप दिया है. फिरोज ने पुनीत गुप्ता का जो स्टिंग ऑपरेशन किया है. उन्होंने स्टिंग ऑपरेशन के उस वीडियो को सार्वजनिक कर दिया है. वीडियो के सार्वजनिक होने पर सूबे में एक बार फिर से बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा हो सकता है. जिस वीडियो की चर्चा छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक होती थी उस वीडियो में पुनीत गुप्ता और फिरोज सिद्दिकी बातचीत करते नजर आ रहे हैं. पहली बार यह वीडियो सामने आया है. फिरोज सिद्दिकी ने मीडिया से बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता पर पिछली सरकार के नाम पर धमकाने का आरोप लगाया है. फिरोज सिद्दकी ने खुलासा किया है कि बातचीत में पुनीत गुप्ता ने मंतूराम पवार को लालबत्ती देनी की बात कही थी.

फिरोज सिद्दिकी और पुनीत गुप्ता के बीच हुई बातचीत का ट्रांसक्रिप्शन

फिरोज सिद्दीकी- अंदर हैं क्या? अभी आए नहीं है क्या

शर्मा जी आए हैं, कहना
पुनीत गुप्ता-  इस चीज को छोड़कर 50 मैटर हैं, जिसमें तुम बहुत कुछ कर सकते हो.
फिरोज- इसमें हाउस कहीं नहीं आएगा.
पुनीत- मेरी बात मान लो तुम कुछ आ गया न तो सबकी ऐसी की तैसी हो जाएगी. मेरे हाथ से कंट्रोल खत्म हो जाएगा.  तुम समझ नहीं रहे हो, मेरी औकात एक चिटी से भी छोटी है, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. तुमको इंटरनली बता रहा हूं, कौन-कौन किससे, कहां-कहां मिलने गया था, मेरे पास मैसेज आ गया है. कौन क्या बोला, क्या नहीं बोला. इसको भैया तू अच्छे से समझ ले. मैं तो चला जाउंगा, लेकिन बाकी जबरदस्ती मेरे चक्कर में
मैं तुम लोगों को दोस्त मानता हूं, इसलिए मैं इन सबसे इनवाल्व किया. आज तुम लोग नहीं होते तो मैं घंटा इनवाल्व नहीं हुआ होता.
फिरोज- इन लोगों के पास आलरेडी ये मैटर है ना.
पुनीत- रहेगा तो फिर मेरे को मत बोलना किसका क्या होने वाला है. राजनीति में क्या होता है, ये तुम जानते हो. ऐसी की तैसी फिर धमाके से होती है. मेरे हाथ में बचाने के लिए कुछ नहीं होगा. मैं तो निकाल जे जाउंगा किनारे. सबके साथ क्या एक्गजेक्ट होने वाला है फिर मेरे को नहीं कहना. मैं तुमको आज भी दोस्त मानता हूं, परसो भी मानता था
फिरोज- इसमें कोई संदेह ही नहीं है. सिर्फ दो लोगों को. संजू और मेरे को
पुनीत- आज की स्थिति में मैं तुम्हें सिंपल चीज बता रहा हूं. तुम्हारी वर्किंग कैसे भी रही हो. मार्केट में लोग क्या बोलते हैं, मैंने कभी तुमको कुछ बोला.
फिरोज- नहीं बोला
पुनीत- बस एक ही चीज ध्यान रखना चाहिए. बाॅस, बाॅस ही रहेगा, गुरू, गुरू ही रहेगा, चेला, चेला ही रहेगा. तुम्हारे अगेंस्ट कोई भी नहीं है. न पहले था और न आगे रहेगा. जिसके बारे में बात कर रहे हो, उससे मेरी एक ही बार मुलाकात हुई है. उनसे एक ही बात समझ में आया कि they have a soft corner for you साॅफ्ट कार्नर तुम्हारे लिए हमेशा से ही रहा है.
फिरोज- वो तो रहा ही है, लेकिन आज नहीं है न बास.
पुनीत- आज भी है.
फिरोज- आज नहीं है. वहीं अजीत जोगी ने कह दिया कि ये लोग आए हैं. एक छोटे से केस के लिए. उस समय आप फोन नहीं किए होते, तो मेरी बेइज्जती हो गई होती.
पुनीत- भई मैंने बचाया न
फिरोज- आपने बचाया ना, लेकिन जिसके लिए हमने इतना किया, वह आदमी कहता है ये लोग आए हैं.  मतलब हम लोगों की श्रेणी ये लोगों की हो गई.
पुनीत- अरे या तुम न
फिरोज- आदमी क्यों मरता है इनके पीछे सिर्फ इज्जत के लिए न
पुनीत- सिंपल सी चीज समझ ले. तेरा कॅरियर बनने के पहले बिगड़ जाएगा, ये लोग आगे बढ़ जाएंगे. क्यों अपन ऐसी-तैसी कराएं. तुम समझ नहीं सकते, तुम्हें कहां-कहां से ट्रेप कर लिया गया है. तुमको बुलाने का मकसद दूसरा चीज है. तुमको सेव कर दूंगा मैं, समझ में आया.  मेरे को सेव करने वाले 50 लोग बैठे हैं.
फिरोज- हां सहीं बात है. सवालों ही नहीं उठता
पुनीत- पावर में हैं. नहीं होते पावर में तो वहीं हालत मेरी भी होती
फिरोज- आप बताओ, उसका मैं क्या कर सकता हूं. आप बताओ ना मेरे को
पुनीत- देखो मेरी बात मानो, थोड़ा सा न राजनीति में इगो….
फिरोज- इगो…जैसा कुछ है ही नहीं. आप जानते हो. अपन लोग लेबर टाइप काम करते हैं.
पुनीत- ये सब कुछ थोड़ा किनारे रखो अभी,  मेरी बात सुनना, जो मुझे समझ में आता है. शांत बैठो थोड़ा.
फिरोज- मैं शांत हूं भैया.  मेरी तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं है, जैसा आप सोच रहे हो. आपको किसी ने कुछ बोला होगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है, मैं गया था, लेकिन कुछ दूसरे काम से गया था.
पुनीत- तु किसी भी काम से गया होगा, लेकिन एमआरपी मैटर है न
फिरोज- मैं कुछ भी क्यों करूंगा. एमआरपी तो खुद भी नाराज है बास. मैं कल भी बैठा था.
पुनीत- पप्पू फरिश्ता किसी का नहीं हो सकता. मेरे को ऐसी-ऐसी बातें बोलकर गया, तुम्हारे बारे में, सबके बारे में , जिसे मैं बता नहीं सकता. मुझे सब याद है. मैंने जिसे दोस्त मान लिया फिर…..मराए दुनिया दारी. मैं जिसके मुंह से सुनुंगा उस पर भरोसा करूंगा. यदि भरोसा कर लूंगा, तो मैं भी डूब जाऊंगा. ऐसी-ऐसी चीजे बोलकर गया तुम्हारे बारे में, हेमंत के बारे में, बघेल के बारे में, जिसे मेैं तुमको बता ही नहीं सकता.
फिरोज- ये किस टाइप का गेम हैं इसका भई?
पुनीत- देखो तुम समझ लो उसका सीधा गेम हैं. वह क्या करता है, तुमको महसूस होता है, सीधा गेम है. मुझे शक हुआ, तो मैंने बुलाया. मुझे सब बता कर गया. बहुत सी चीजें मैं सीधा बोल नहीं रहा हूं. या तो मैं तुम्हारे मुंह से सुनुंगा.
फिरोज- नहीं मेरी तरफ से तो कुछ भी नहीं है. आप ये मानकर चलो कि मेरे तरफ से एक्स, वाई, जेड कुछ भी नहीं है.
पुनीत- तो फिर तुम लोग समझ नहीं पा रहे हो कि कौन तुम्हारे कंधे पर बंदूक रखकर चल रहा है.
फिरोज- मोहरा तो बनाएगा कोई न कोई. मेरा दोनों बाप-बेटों से हैं. इनके पास जो रिकार्डिंग हैं, वह मंतूराम पवार और अजीत जोगी की बातचीत की है, जिसमें कहा जा रहा है कि हमने सीएम से बात कर ली है, तुम्हें लाल बत्ती मिल जाएगी.
पुनीत- जो साॅफ्ट कार्नर हैं तुम्हारे लिए आज भी, वह किसी का नहीं हो सकता. उस समय मैंने संजीव को भी बोला.
फिरोज- उस समय था, नो डाउट.
पुनीत- तुमने एक चीज सुन लिया. ये मेरे साथ हमेशा होता है. सुन लेना कैसे, मेरी प्रमोशन की फाइल चल रही है. हाउस से फोन हो गया. हाउस के अधिकारीगण मेरी फाइल को रोक रहे हैं, यह मुझे पता है. हाउस के अधिकारी ने मुझे कहा कि फलाने ने मुझे फोन किया है. मैंने कहा मैं क्या करूं भाईसाहब तुमको मैंने पहले भी एग्जाम्पल कोट किया है. मैं क्या करूं बता मेरे को. मैं रोड पर बैठ जाऊं, जाना बंद कर दूं या दुश्मनी पैदा कर लूं.
फिरोज- पारिवारिक है
पुनीत- पारिवारिक नहीं है, तुम्हारा भी पारिवारिक ही है.
फिरोज- अपन मानते हैं न भाई, लेकिन ये लोग नहीं मानते न
पुनीत- मेरी एक चीज सुन. किसी अधिकारी ने फोन किया. एक होटल में जुआं चल रहा था. बोला पुनीत को भी इनवाल्व कर लो. उसकी जो ऐसी की तैसी करनी थी हमने कर दी. अब इसमें क्या बोलोगे तुम. तुम न एग्रेसिव मन हो.
फिरोज- एग्रिसीव नहीं हूं मैं.
पुनीत- मैं बता रहा हूं तेरे को, तेरा गुरू, गुरू ही रहेगा. बात मान ले मेरी तू, तेरा गुरू कोई दूसरा नहीं हो सकता. हां यह जरूर है कि आपस में लाइन आफ डिमार्केशन कभी नहीं बनाई इसलिए चीजें कामन हो गई है. डिमार्केशन का मतलब यह होता है कि तेरी-मेरी दोस्ती के बीच में मैने ये नहीं कहा कि मैं इसका रिश्तेदार हूं, वैसी यहां भी है. भाई-भाई की आपस में नहीं जमती, मेरे भाई से मेरी कभी नहीं पटती. लड़ाई होती है हमारी.
फिरोज- हां सही बात है. भाई की भाई से नही ंपटती.
पुनीत- इसका मतलब क्या है. सोच के देख ना. मेरी समझ से तु मत कर फालतू की हरकत
फिरोज- आपको जिसने भी बोला है, गलत है. मैं इस पर आगे बढ़ रहा हूं ऐसा कोई कह रहा है, तो गलत है.
पुनीत- मैं एक चीज चाहता हूं बस, तु मेरी बात मान ले. तेरा फ्यूचर में गेम होगा इसकी मैं गारंटी दे रहा हूं. समझ में आया. खाया पिया तो तुमने वहीं से है.
फिरोज- भई एक मिनट लगता अमित को बोलने में कि तुम्हारी नाराजगी क्या है. मुझे दिल्ली बुलाया. कहा कि तुम आकर बात करो. मैं वहां गया
पुनीत-  मैं मीडिएटर बन जाउं.
फिरोज- नहीं कोई जरूरत नहीं है. आप काहे इन लोगों के सामने झुकोगे
 पुनीत- मेरी लाइफ में झुकना कोई कांसेप्ट नहीं है. मेरी लाइफ में सिर्फ एक ही चीज है. आपस में सब मिल जुलकर चले तो दो पैसा तुम भी कमाओ, दो पैसा हम भी कमाए.
फिरोज- पैसा कमाने की कभी कोई ललक कभी रही है क्या. मुझे दुख इस बात का हुआ कि ये आदमी ऐसा सोचना शुरू कर दिया.
पुनीत- मै खून के घुंट पी रहा हूं. तु रिश्तेदार नहीं है, करीब हो सकता है. मैं तो रिश्तेदार हूं, फिर, जब भी तकलीफ हुई है, उस आदमी की बुरी तरह से भद्द पिटी है. आज भी वह आकर पैर छूता है माफी मांगता है, कहता है साहब बचा लो.
चार-पांच बार हो गया. छोटे के साथ कई बार हो गया. ये आदमी नहीं सुधरेगा.आप जो कहते हो उतना ही काम करता हूं, लेकिन आज के जो लोग आए हैं, उनके सामने बेइज्जती करते हो.
पुनीत- बिसेन को मैं दस हजार महीने पर नौकरी पर रखा था, पीछे मकान बनाने के लिए. दस बार चक्कर काटता था मेरे पूछता था कि कब से नौकरी पर आ जाऊ, लेकिन देख आ कहां पहुंच गया. 2007-08 की बात कर रहा हूं. आज वह कहां पहुंच गया. एक के लिए नहीं बोलता मैं, उल्टा लटक जाऊंगा. इतना है मेरे मे. मार दूंगा मैं उसको पकड़ कर, लेकिन नहीं बोलुंगा मैं उसे. सिचुएशन होताी है बास जो आपका काम कराती है. मुझे परमिट करेगा, तो मैं सामने आऊंगा, मेरे को दोनों से फायदे हैं. आज 12 विधायक, 20 विधायक, 25 विधायक जो भी करोगे उनकी सहमति से करोगे नहीं करोगे तो मजा नहीं आएगा. नहीं करोगे तो स्कैन नहीं हो पाएगी बात. आज मेरी औकात जीरो हैं. इसलिए देखो बास ऐशा है, दुनिया में हर किस्म के लोग हैं, लेकिन भरोसे करने वाले दो तीन ही मिलेंगे. एक चीज बताता हूं तेरे को. सागौन बंगला और सिविल लाइन में डिफरेंस एक ही बात का है. सागौन बंगला किसी को कभी भूलता नहीं है. सिचुएशन थोड़ी सी इधर उधर हुई है. एक काम करे, अगर तु परमिट करे, तो मैं इनको बुला लेता हूं,
फिरोज-  दिल्ली बुलाकर ये आदमी नहीं मिला मुझे. मैं गया, वह दूसरे दिन बाम्बे निकल गया. दुख नहीं होगा मुझे.
तु बात ऐसी करता है. मैं सीएम परिवार के साथ गया. मेरा टिकट छोड़कर सबका बिजनेस क्लास में हुआ. मैं इकोनामी क्लास में गया. लोग तो चाहेंगे कि तुम जितने करीब जाओ तुम्हें दूर करें. उस दिन मैंने कसम खायी कि मैं इनके साथ जाउंगा, लेकिन टिकट अपने पैसे से कराऊंगा. रिलेशन खराब नहीं है. दो मिनट लगता है. मैं मां बहन एक कर देता, बदतमीजी पर उतर आता,लेकिन धैर्य का परिचय देता होता है. आज तुम्हें भी धैर्य का परिचय देना है.
फिरोज- इनके यहां पूरा सिस्टम बिगड़ गया है, पूरे लोग अलग हो गए हैं. आज कोई साथ नहीं है. जितने भी करीबी थे, सब हट गए हैं.
पुनीत- थोडा़ धैर्य कर ले.
फिरोज- मुझसे धैर्य हैं.

देखिये वीडियो

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