शैलेन्द्र पाठक, बिलासपुर। विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा के भीतर कार्यकर्ताओं में ही नहीं बड़े नेताओं के बीच भी जमकर नाराजगी दिख रही है. बड़े नेता सीधे-सीधे एक-दूसरे पर निशाना नहीं साध रहे लेकिन उनके बयान यह बताने के लिए काफी है कि पार्टी के भीतर में संतुलन नहीं है. इसका अंदाजा आज बिलासपुर में भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पाण्डेय की ओर प्रेसवार्ता में दिए गए बयान से लगाया जा सकता है.

राष्ट्रीय महासचिव सरोज पाण्डेय ने सीधे और सपाट लहजों में कहा कि छत्तीसगढ़ में लोकसभा का चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में नहीं बल्कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. सरोज पाण्डेय के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में जकमर चर्चा है. चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि अब पार्टी के बड़े नेताओं के बीच में संतुलन नहीं रहा है. क्योंकि यह बयान सीधे तो पर उस नेता के लिए जिनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में भाजपा की तीन बार लगातार सरकार रही है. और जिन्हें देश भर में मोदी सरकार भी चाउर वाले बाबा के रूप में भूनाती रही है. वहीं सरोज पाण्डेय ने पूर्व मुख्यमंत्री के बंगला मोह को लेकर सीएम भूपेश बघेल की ओर से किए गए कटाक्ष पर कहा कि राजनीतिक दलों में मर्यादा रहने चाहिए.

वहीं सरोज पाण्डेय ने विधानसभा में मिली हार पर कहा कि चुनाव में कांग्रेस का घोषणा-पत्र हमारे ऊपर भारी पड़ गया. लेकिन उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की उपलब्धियां कांग्रेस पर भारी पड़ेगी. मोदी सरकार में एक भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं है यही सबसे बड़ी उपलब्धि है. हालांकि उन्होंने लोकसभा की सीटों को लेकर कोई दावा नहीं किया. जबकि राम मंदिर के सवाल पर कहा कि भगवान राम जब चाहेंगे तब मंदिर बन जाएगा.