विनोद दुबे, रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह छत्तीसगढ़ की राजनीति के अर्जुन साबित हो चुके हैं. प्रदेश की राजनीति में उनका कद इतना ऊंचा हो चुका है कि उस कद को छूने वाला पार्टी के भीतर कोई दूसरा नेता दूर-दूर तक नजर नहीं आता है. छत्तीसगढ़ की राजनीति के इस अर्जुन ने चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर अपने तरकश से ब्रम्हास्त्र निकाल लिया है. सीएम का यह ब्रम्हास्त्र और कुछ नहीं बल्कि संचार क्रांति योजना (SKY) है. इस योजना के तहत सरकार द्वारा 50 लाख से ज्यादा स्मार्टफोन बांटे जाएंगे. ये स्मार्ट फोन 18 से 60 वर्ष के बीच की महिलाओं और महाविद्यालयीन छात्रों को दिया जाएगा.

1400 करोड़ से ज्यादा की इस योजना का शुभारंभ जगदलपुर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों हुआ. इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ एक नए युग में प्रवेश कर रहा है और 40 लाख महिलाओं के हाथों में स्मार्टफोन होगा. बस्तर की पवित्र भूमि से इसका आगाज हो रहा है.

ये होंगे मोबाइल के फीचर

योजना में ग्रामीण के साथ शहरी महिलाओं को जो मोबाइल दिया जाएगा वो माइक्रोमैक्स कंपनी का भारत टू पल्स 4 जी मोबाइल है, जो 4 इंच की स्क्रीन के साथ 1 जीबी रेम, 8 जीबी इंटरनल मेमोरी, पांच और दो मेगा पिक्सल का कैमरा, 1700 एमएच की बैटरी होगी। वही विद्यार्थियों को दिए जाने वाला मोबाइल माइक्रोमैक्स के भारत फोर मोबाइल होगा, जिसमें 5 इंच की स्क्रीन, 2 जीबी रैम, 16 जीबी इंटरनल मेमोरी, 8 और 5 मेगा पिक्सल कैमरा और 3000 एमएच की बैटरी होगी।

ये हो सकता है असर

चुनाव से महज 4 से 5 महीने पहले शुरु हुई इस योजना का असर सीधा-सीधा विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है. इस योजना को सरकार की 15 साल की एंटी इनकमबैंसी की बड़ी काट के रूप में देखा जा सकता है. इससे पहले रमन सिंह ने अपनी दूसरी पारी के लिए चुनावी रण में उतरने से पहले 1 रुपए किलो चावल और तीसरी पारी के लिए विद्यार्थियों को मुफ्त लैपटाप और टैब की योजना को लेकर चुनावी मैदान में उतरे थे. जिसका असर चुनावों में देखने को मिला था और इसके साथ ही रमन सिंह ने चुनाव जीतने की हैट्रिक बना ली थी. इस बार सीएम अपने इस ब्रम्हास्त्र के जरिए प्रदेश के लाखों घरों तक सीधा पहुंचने की कवायद में हैं.

पिछले चुनावों में प्रदेश की 90 में से अनुसूचित जनजाति की 29 सीटों में से कांग्रेस को 18 सीट और भाजपा को 11 सीटें हासिल हुई थी. वहीं अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 में 9 सीटें भाजपा के पास है जबकि 1 सीट कांग्रेस के पास है.

65 प्लस सीट का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा के लिए अनुसचित जनजाति वोटों को साधना सबसे बड़ी चुनौती है. पार्टी के आला नेता महीने दो महीने में आदिवासी बहुल जिलों का दौरा करते रहे हैं. खुद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह बस्तर के अलावा सरगुजा अंचल का दौरा कर चुके हैं और आदिवासी के घर भोजन भी किए थे प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक आदिवासियों के घर में रुके थे. वहीं पीएम मोदी भी दो बार बस्तर का दौरा कर चुके हैं.

विपक्ष सरकार के 15 साल की एन्टी इन्कमबैंसी को इस बार भुनाने के पूरे प्रयास में है. कांग्रेस समय-समय पर सरकार के खिलाफ आंदोलन भी चला चुकी है. इसी की कड़ी में विकास यात्रा की तर्ज पर पोल खोल यात्रा और विकास की चिड़िया खोजो की शुरुआत की गई थी. लेकिन रमन सिंह के इस ब्रम्हास्त्र का काट कांग्रेस को जल्द ही ढूंढ़ना पड़ेगा नहीं तो पिछले बार की तरह इस बार भी विपक्ष के सत्ता तक पहुंचने की राह कहीं मुश्किल न हो जाए. वहीं कांग्रेस के लिए पार्टी से अलग होकर अलग पार्टी बनाने वाले अजीत जोगी भी एक बड़ी चुनौती के रुप में सामने खड़े हैं.