Supreme Court bans sentence to Rahul Gandhi: मोदी सरनेम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है. शीर्ष अदालत ने कांग्रेस नेता की सजा पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि जब तक राहुल की सजा के खिलाफ अपील लंबित है, तब तक उनकी सजा पर रोक रहेगी. माना जा रहा है कि राहुल अब संसद के मानसून सत्र में हिस्सा ले सकते हैं. राहुल के वकील ने कहा कि राहुल की सदस्यता अब बहाल हो गई है. उनके वकील ने दावा किया कि इस सत्र से राहुल संसद सत्र में उपस्थित होंगे.
राहुल कब आएंगे संसद ?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद माना जा रहा है कि इसकी कॉपी लोकसभा स्पीकर के सचिवालय को जाएगी. इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष राहुल गांधी की सदस्यता पर फैसला ले सकते हैं. माना जा रहा है कि राहुल संसद के मानसून सत्र से ही हिस्सा ले सकते हैं. गौरतलब है कि दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल को अयोग्य घोषित कर दिया था.
हालांकि, चुनाव आयोग ने वायनाड में चुनाव की घोषणा नहीं की थी. स्पीकर इस मामले में चुनाव आयोग को जानकारी देंगे, जिसके बाद स्पीकर इस मामले में फैसला लेंगे. अगर सब कुछ जल्दी हुआ तो राहुल सोमवार को संसद सत्र में शामिल हो सकते हैं या फिर मंगलवार को सत्र में शामिल हो सकते हैं.
कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी की सजा पर रोक का स्वागत करते हुए बीजेपी पर हमला बोला. राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा ने इसका स्वागत किया और कहा कि राहुल को परेशान करने की कोशिश की गई. लेकिन हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. वहीं कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राहुल गांधी संसद के मानसून सत्र में हिस्सा लेंगे.
23 मार्च को सज़ा सुनाई गई
गौरतलब है कि 23 मार्च 2023 को सूरत सेशन कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराया था और दो साल की सजा सुनाई थी और उन्हें जमानत दे दी थी और ऊपरी अदालत में अपील करने की इजाजत दी थी. 13 अप्रैल 2019 को, पूर्णेश मोदी ने कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में मोदी उपनाम के बारे में विवादास्पद टिप्पणी के लिए राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया.
लोकसभा सचिवालय ने 24 मार्च 2023 को अधिसूचना जारी की
इसके बाद 24 मार्च को लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें लिखा था कि श्री राहुल गांधी, जो केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद हैं, को सूरत कोर्ट ने एक मामले में दोषी ठहराया है. 2019, जिसके परिणामस्वरूप उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई है. उनकी सदस्यता उनकी सजा के दिन यानी 23 मार्च से रद्द कर दी गई है. राहुल गांधी पर यह कार्रवाई लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 के तहत की गई थी.
पहले जानिए मामला क्या है
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, ‘सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे है?’ इसे लेकर बीजेपी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
निचली अदालतों में क्या हुआ ?
23 मार्च को निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. अगले ही दिन राहुल की लोकसभा सदस्यता चली गई. राहुल को अपना सरकारी आवास भी खाली करना पड़ा. निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ राहुल ने 2 अप्रैल को हाई कोर्ट में याचिका दायर की. जस्टिस प्रचारक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद 7 जुलाई को कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया और राहुल की याचिका खारिज कर दी.
हाई कोर्ट ने क्या कहा ?
गुजरात हाई कोर्ट ने राहुल की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि राजनीति में ‘शुचिता’ समय की मांग है. जन प्रतिनिधि स्वच्छ छवि के होने चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि सजा पर रोक लगाना नियम नहीं बल्कि अपवाद है. इसका उपयोग केवल दुर्लभ मामलों में ही किया जाता है. जस्टिस प्रचक्क ने अपने 125 पन्नों के फैसले में कहा था कि राहुल गांधी पर पहले से ही देशभर में 10 मामले चल रहे हैं. इसलिए, ट्रायल कोर्ट का आदेश उचित, उचित और वैध है.
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