Rajasthan Assembly Election 2023: कांग्रेस सह प्रभारी अमृता धवन के अजमेर दौरे से पहले सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट के समर्थक आपस में उलझ गए. दोनों गुटों के समर्थकों के बीच जमकर लात-घूसे चले. गहलोत के विश्वस्त सिपहसालार धर्मेंद्र राठौड़ के विरोध में सचिन पायलट के समर्थकों ने ‘धर्मेंद्र राठौड़ मुर्दाबाद’ के नारे लगाए.

इसके बाद स्थिति बिगड़ गई और पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा. इससे पहले सह प्रभारी अमृता धवन की सभा कराने को लेकर शहर कांग्रेस और ग्रामीण कांग्रेस के कार्यकर्ता आपस में उलझ गए. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया.

सरकार बचाने में राठौड़ की भूमिका थी

2020 में गहलोत सरकार पर आए राजनीतिक संकट के दौरान सरकार को बचाने में धर्मेंद्र राठौड़ की अहम भूमिका मानी जाती है. 25 सितंबर 2022 को राजस्थान में आए राजनीतिक भूचाल और उसके बाद इस्तीफे में धर्मेंद्र राठौड़ पर्दे के पीछे से चर्चित चेहरा रहे हैं.

आलाकमान से उन्हें नोटिस भी मिला था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. धर्मेंद्र राठौर वर्तमान में राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष हैं. वह पूर्व में अलवर के बानसूर विधानसभा से अपनी दावेदारी पेश करते रहे हैं. वह 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए अजमेर जिले से जमीन की तलाश कर रहे हैं.

पायलट ने अजमेर से जन संघर्ष यात्रा की शुरुआत की

कुछ दिन पहले सचिन पायलट ने अजमेर स्थित आरपीएससी मुख्यालय से जन संघर्ष पदयात्रा की शुरुआत की थी. इस पदयात्रा में पायलट ने वसुंधरा सरकार में भ्रष्टाचार और आरपीएससी में हो रहे पेपर लीक को लेकर लगातार अशोक गहलोत सरकार पर हमला बोला था.

इस दौरान अजमेर में सचिन पायलट को भारी जनसमर्थन मिला। सचिन पायलट का अजमेर से पुराना नाता है, यहां से 2009 का लोकसभा चुनाव जीते थे, हालांकि 2014 में मोदी लहर के कारण वे चुनाव हार गए थे.

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