रायपुर. अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेजे गए अधिकारी- कर्मचारियों के लिए यह एक राहत भरी खबर है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन तमाम प्रकरणों के परीक्षण के निर्देश दिए हैं, जिनके तहत दर्जनों अधिकारी-कर्मचारियों को पिछली सरकार में अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया गया था.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्य सचिव सुनील कुजूर को सभी मामलों का परीक्षण कर जल्द रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिये है. माना जा रहा है कि इनमें से कई अधिकारी- कर्मचारियों की बहाली हो सकती है. आपको बता दें साल 2017 में राज्य शासन ने 42 पुलिसकर्मी और अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी. सरकार में फैसले में विरोध में पुलिस कर्मियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सरकार पर यह भी आरोप लगा था कि एसटी-एससी वर्ग के कर्मचारियों को टारगेट कर यह कार्रवाई की गई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की थी. पुलिस विभाग के अलावा अन्य विभागों में भी पदस्थ कर्मियों के लिए भी सरकार का यह फैसला राहत भरा हो सकता है.
पिछली सरकार में 50 साल आयु या फिर 20 साल की सेवा अवधि पूरी करने वाले 50 से ज्यादा अधिकारियों औऱ कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी. इनमें सबसे ज्यादा पुलिस महकमे के 42 पुलिस अधिकारी शामिल थे. राज्य शासन के इस निर्णय का जमकर विरोध भी हुआ था. सरकार पर यह भी आरोप लगा था कि एसटी और एसटी वर्ग के कर्मचारियों को ही निशाना बनाया गया.
आईपीएस केसी अग्रवाल की हुई है बहाली
हाल ही में आईपीएस केसी अग्रवाल की बहाली हुई है. उनके सर्विस परीक्षण किए जाने के बाद पिछली सरकार ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी. सरकार के इस फैसले के विरोध में उन्होंने कैट में अपील की थी. जहां से उन्हें जीत मिली औऱ उनकी सेवा बहाली हुई. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बीएल अग्रवाल ने भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने के बाद कैट में अपील की थी. चर्चा है कि उनकी भी जल्दी बहाली हो सकती है.
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के 42 पुलिस अधिकारियों को 20 अगस्त को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी. वजह बताई गई कि इन पुलिस अधिकारियों का सीआर खराब था. लोकहित में बेहतर ढंग से काम नहीं करने की वजह से शासन ने सर्विस पर ब्रेक लगाना ही बेहतर समझा. छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही रही, जिसमें एक साथ 42 पुलिस अधिकारियों की नौकरी एक झटके में सरकार ने छिन ली. जिन लोगों को नौकरी से हटाया गया उनमें 15 टीआई, 19 एएसआई औऱ 9 एसआई शामिल हैं. कार्यवाही हुई तो विरोध की आवाजें भी बुलंद हो गई. नौकरी से हटाये गए पुलिस अधिकारियों ने यह कहते हुए सनसनी फैला दी कि सरकार की यह कार्यवाही पक्षपातपूर्ण हैं. 42 पुलिस अधिकारियों में 34 पुलिस अधिकारी ऐसे हैं, जो एससी-एसटी वर्ग से आते हैं, लिहाजा सबसे बड़ा आरोप सरकार पर यही लगाया गया कि एससी-एसटी को लक्ष्य बनाकर ही कार्यवाही की गई. जिन्हें उनके खराब सीआर की वजह से नौकरी से हटा दिया गया. इन लोगों में छह महिला अधिकारी शामिल थी.